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विभागीय कार्यवाही का लंबित होना किसी व्यक्ति को विदेश यात्रा से रोकने का आधार नहीं- हाईकोर्ट

हाईकोर्ट जयपुर

जयपुर, 25 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि विभागीय कार्यवाही का लंबित होना, किसी व्यक्ति को विदेश यात्रा करने से रोकने का आधार नहीं हो सकता। भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति का दायरा व्यापक है, जिसमें विदेश जाने का अधिकार भी शामिल है। अदालत ने कहा कि किसी व्यक्ति को कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही विदेश जाने से वंचित किया जा सकता है। विदेश जाने की स्वतंत्रता का सामाजिक महत्व है, यह महत्वपूर्ण बुनियादी मानव अधिकार का प्रतिनिधित्व करता है। इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को 30 अक्टूबर से 4 नवंबर तक उसके बेटे से मिलने के लिए सिंगापुर जाने की सशर्त अनुमति भी दे दी। जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश नीरज सक्सैना की याचिका पर दिए। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता 6 नवंबर से पहले भारत लौट आएगा और तत्काल इसकी जानकारी विभाग को देगा। इसके अलावा वह सिंगापुर को छोडक़र किसी अन्य देश की यात्रा नहीं करेगा।

याचिका में अधिवक्ता अखिल सिमलोट ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता राजस्थान इलेक्ट्रोनिक्स एंड इंस्ट्यूमेंट्स लिमिटेड में अधिकारी है। उसने अपने सिंगापुर रहने वाले अपने बेटे से मिलने के लिए 26 सितंबर को प्रार्थना पत्र पेश कर विदेश यात्रा की अनुमति मांगी थी, लेकिन विभाग ने उसके प्रार्थना पत्र पर काई कार्रवाई नहीं की। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि मामला हाईकोर्ट में आने के बाद अदालत ने विभाग को नोटिस जारी किए। उसकी विभाग को तामील होने के बाद उसके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दे दिए और अदालत को जानकारी दी कि विभागीय जांच लंबित होने के कारण उन्हें विदेश जाने की अनुमति नहीं दी है। जबकि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसे विदेश में रह रहे बेटे से मिलने का मौलिक अधिकार है। इसलिए उसे विदेश जाने की मंजूरी दी जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को सशर्त विदेश जाने की अनुमति दी है।

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(Udaipur Kiran)

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