Haryana

गाैपालन का अर्थ दूध उत्पादन ही नहीं,गाय का गोबर भी अर्थ तंत्र का हिस्सा है : डॉ. स्वामी दिव्यानंद भिक्षु

महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी दिव्यानंद भिक्षु झज्जर में गाैधन सेवा समिति के कार्यक्रम में भाग लेते हुए

झज्जर, 22 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । तपोवन हरिद्वार से महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी दिव्यानंद भिक्षु ने कहा कि गाय को केवल दुग्ध उत्पादन से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। असलियत ये है कि गाय का तो गोबर भी अर्थ तंत्र को मजबूत रखने में बड़ा सहायक हो रहा है। इसलिए सरकार को गाै-संरक्षण और गाै संवर्धन के पर विशेष ध्यान देना चाहिए। स्वामी दिव्यानंद मंगलवार को बहादुरगढ में गाैधन सेवा समिति द्वारा सेठ रामवतार गोयल गाय एवं वन्य जीव उपचार केंद्र में आयोजित श्री गाै कथा एवं कामधेनु यज्ञ समारोह में उपस्थित गोभक्तों को संबोधित कर रहे थे।डॉ. स्वामी दिव्यानंद भिक्षु ने कहा कि विषाक्त भूमि-उस पर होने वाली कृषि को भी केमिकल खाद नहीं गोबर खाद से उपजाऊ बनाया जा रहा है। इसलिए कृष्ण की उपास्या गो माता हर प्रकार से सुखकारिणी है। किन्तु आज कृष्ण भक्त ही गो सेवा के प्रति उदासीन है? आश्चर्य होता है ऐसे श्री कृष्ण जो ऋषि मुनियों के आह्वान करने पर भी नहीं आते पर गोपियों के घर बिना बुलाए आ जाते हैं क्यों? जब पूछा तो श्री कृष्ण बोले क्योंकि तुम गोपी हो गाय की सेवा, गोदर्शन और गो दूध ही पीती हो। जो गो सेवा करते हैं मैं उनके घर तो रहने को तरसता हूँ? इतना महत्व गैय्या मैय्या का? किन्तु हमें गाय का शास्त्रीय ज्ञान नहीं इसलिए इस परम लाभ से वंचित हैं।

स्वामी दिव्यानंद ने कहा कि कोई तो कारण हैं कि जिन कृष्ण का नाम लेने से गोपियां मानती हैं कि पाप ताप समाप्त हो जाते हैं किन्तु पूतना उद्धार के बाद कृष्ण को गो मूत्र से स्नान कर शुद्ध किया जा रहा है? ओरछा टीकम गढ के महाराज ने तो अपनी रियासत भारत में विलय करने से पूर्व यही शर्त रखी थी कि गो चारण भूमि किसी अन्य कार्यों में प्रयोग न हो तभी विलय होगा। तब कितना महत्व था गाय और गो चारण भूमि का?

स्वामी जी ने कहा, आज बड़े खेद का विषय है कि जहाँ से हम वैदिक मर्यादाओं का पाठ पढते हैं उन्हीं स्थलों पर यदि वैदिक मर्यादाओं का उल्लंघन होगा तो सच्चे धार्मिक लोगों के मन में व्यथा तो होगी ही। और ऐसे समय में भी कुछ महापुरुष और गो भक्त यदि धर्ममय विधि से, श्रद्धा भावना से गो शाखाओं में गो संरक्षण संवर्धन करते हैं तो सरकार और प्रशासन को भी इस व्यवस्था में सहयोग देना चाहिए। धर्म रहेगा तो राष्ट्र भी रहेगा और यह भी सत्य है कि राष्ट्र संगठित रहेगा धर्म भी तभी टिक पायेगा। विधर्मी ही नहीं आज अपनी युवा पीढी भी तर्क वितर्क कर धर्म से विमुख हो रही है, उन्हें कोई उतर नहीं दे पा रहा। सीधे तौर पर युवा भी आज्ञाकारी नहीं है।

इस अवसर पर संजय-प्रीति गुप्ता, सुनील मान, सुरेश गोयल, मोहित अग्रवाल, नवीन राठी, बीरेन्द्र राठी, सुनील शर्मा ने गोदान कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

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(Udaipur Kiran) / शील भारद्वाज

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