–हिन्दुओं के अस्तित्व की रक्षा, देश की अखंडता, सुरक्षा और नैतिकता का दायित्व देश के राजनेताओं का : स्वामी निश्चलानंद सरस्वती
जौनपुर, 19 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । दो दिवसीय राष्ट्राेत्कर्ष अभियान यात्रा के दौरन जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी निश्रलानंद सरस्वती पूर्वानाय श्री गोवर्धन पीठ पुरी ओडिशा द्वारा जनपद के तिलकधारी महाविद्यालय के बलरामपुर हाल में सनातन धर्म संस्कृति को लेकर वृहद आयोजन किया जा रहा है। शनिवार शाम पत्रकारों से बात करते हुए जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलन सरस्वती ने कहा कि वर्तमान समय में जिन लोगों के अंदर सनातन धर्म के संस्कार नहीं है उसके लिए कहीं न कहीं उनके माता-पिता जिम्मेदार हैं। यदि बच्चों को प्रारंभ से ही संस्कार दिए जाएं तो बच्चों के अंदर वह संस्कार जरूर आएंगे। लेकिन वर्तमान समय में माता-पिता द्वारा बच्चों को संस्कार नहीं दिए जा रहे हैं। यदि माता-पिता के अंदर संस्कार हैं तो निश्चित ही बच्चों के अंदर संस्कार आएंगे।
उन्होंने कहा भारत विश्व गुरु बनने जा रहा है। उन्होंने कहा कि यहां तो भगवान साक्षात अवतार लेते हैं, यहां साक्षात देवियां अवतार लेती हैं। भारत पहले से विश्व गुरु था, विश्व गुरु है और विश्व गुरु रहेगा। प्रयागराज में लग रहे कुम्भ मेले में लोगों को पहचान पत्र बनाने के लिए निर्देश दिया गया है। इस पर उन्होंने कहा कि यह धर्म का मामला है। अधिकारियों को कोई भी वक्तव्य देने से पहले हमारे देश के चार शंकराचार्य हैं। उनसे बात करके तभी कोई बात करनी चाहिए थी। अखाड़ा परिषद और शासन को यह मालूम होना चाहिए कि भारत में चार शंकराचार्य भी हैं। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर प्रहार करते हुए कहा कि इन लोगों ने मर्यादा का हनन किया है सत्ता के वशीभूत होकर इन लोगों ने रामलला के पूजन में शंकराचार्य को आमंत्रित नहीं किया। इस कारण रामलला ने इन लोगों को चारों खाने चित कर दिया। इसलिए भाजपा अयोध्या, चित्रकूट, रामेश्वरम, मथुरा में हारी, ये मर्यादा हनन के कारण हारी है। बीजेपी को दो लोग साधे हुए हैं। नीतीश व नायडू इनकी बैसाखी है।
वर्तमान शासन सत्ता को चाहिए कि वह मठ मंदिरों को शासन सत्ता के दबाव से मुक्त कर दे। जैसे चार दिशाएं हैं वैसे ही देश में चार शंकराचार्य हैं। इन सभी को इनके मठों मंदिरों काे हस्तांतरित कर देना चाहिए। हिंदुओं के अस्तित्व की रक्षा देश की अखंडता सुरक्षा और कटिबद्धता नैतिकता का दायित्व देश के राजनेताओं का है। राजनेताओं को धर्म से कोई लेना नहीं है। वह सिर्फ लोगों को जातियों में बांटकर एक दूसरे से अलग करके राजनीतिक कर रहे हैं। समाज में तमाम संतो द्वारा दिए जा रहे बयान पर उन्होंने कहा कि जिनके पास ज्ञान है जिनको परम्पराओं का ज्ञान है वहीं कुछ बोले तो इसको सही वक्तव्य माना जा सकता है। बोलने से पहले इसका ध्यान रखना चाहिए की काल स्थिति परिस्थितियों का सामंजस्य देखकर ही बोलना चाहिए। जिनको धर्म नीति शास्त्र का ज्ञान नहीं है उनकी बातों का कोई ध्यान नहीं देना चाहिए। वर्तमान समय में युवाओं का रुझान आध्यात्मिक की ओर नहीं है।
उन्होंने कहा कि लोगों को गुरुओं से ज्ञानियों से सम्बंधित विषय के ज्ञाताओं से बात करना चाहिए। उनके सानिध्य में रहना चाहिए तभी उनको इसका ज्ञान हो पाएगा और अपना जीवन सफल बनाएं, उसकी आवश्यकता है। वर्तमान समय में संत तमाम राजनीतिक दलों से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि संतो के ऊपर सपाई, बसपाई, भाजपाई, कांग्रेसी जैसा शब्द शोभा नहीं देता है। उन्हें इसका ज्ञान होना चाहिए। उन्हें अपनी वाणी से समाज को सही संदेश देना चाहिए जो प्रमाणिक हो। वहीं कुछ संदेश समाज को दें तो इसका समाज पर भी असर होता है। उन्होंने कहा कि आज समाज में लोग अपनी धर्म परम्परा से पीछे हट रहे हैं। ऐसे में उन्हें फिर से सनातन धर्म से जोड़ने के लिए आज हम यहां आए हैं। लोगों को धर्म के बारे में ज्ञान कराना आवश्यक है। आज लोगों का धर्म के प्रति लगाव कम हो रहा है। उस लगाव को फिर से लोगों के अंदर जागने की जरूरत है। उन्हाेंने दर्शन शास्त्र का प्रयोग करते हुए दार्शनिक भाषा में लोगों को समझने का प्रयास किया। सब काम नारायण के ही कारण सम्भव है, हमारे संतो को भगवान का निमित्त उपादान कारक माना जाता है।
(Udaipur Kiran) / विश्व प्रकाश श्रीवास्तव