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पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर सुनवाई समाप्त, फैसला दुर्गा पूजा के बाद होने की संभावना

पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी

कोलकाता, 07 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर कलकत्ता हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। हालांकि, अदालत ने फिलहाल फैसला सुरक्षित रखा है। सोमवार को हाई कोर्ट के न्यायाधीश अरिजीत बनर्जी और न्यायाधीश अपूर्व सिंह राय की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। अदालत ने कहा है कि सुनवाई पूरी हो चुकी है, लेकिन फैसले की घोषणा फिलहाल स्थगित कर दी गई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि दुर्गा पूजा के बाद ही इस मामले में फैसला सुनाया जाएगा।

इस मामले में पार्थ चटर्जी के अलावा शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारियों, जैसे सुबीरेश भट्टाचार्य और कल्याणमय गांगुली को भी गिरफ्तार किया गया था। सोमवार को उनकी जमानत याचिका पर भी सुनवाई हुई, और उस पर भी फैसला सुरक्षित रखा गया है। चूंकि कलकत्ता हाई कोर्ट में दुर्गा पूजा की छुट्टियां छह अक्टूबर से शुरू हो रही हैं और नवंबर के पहले सप्ताह तक अदालत बंद रहेगी, इसलिए संभावना है कि पार्थ और अन्य आरोपितों की जमानत पर फैसला नवंबर में ही आएगा।

हाई कोर्ट पहले ही इस बात के संकेत दे चुका था कि दुर्गा पूजा से पहले पार्थ की जमानत याचिका का निपटारा होने की संभावना कम है। इसके अलावा, नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज मामले में पार्थ की जमानत याचिका वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होनी है, जो कि दुर्गा पूजा के बाद है। इससे यह साफ हो गया है कि पार्थ चटर्जी इस वर्ष भी दुर्गा पूजा जेल में ही बिताएंगे। यह लगातार तीसरा साल होगा जब वे जेल में रहेंगे।

पार्थ चटर्जी को 2022 में नियुक्ति भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी से पहले उनके नाकतला स्थित घर पर ईडी ने लंबे समय तक छापेमारी और पूछताछ की थी। पार्थ की करीबी मानी जाने वाली अर्पिता मुखर्जी के टालीगंज और बेलघरिया के फ्लैट पर भी छापा मारा गया था, जिसमें टालीगंज स्थित ‘डायमंड सिटी’ फ्लैट से 21.9 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए थे। इसके अलावा, वहां से बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा और सोने के आभूषण भी बरामद किए गए थे। अर्पिता के एक और फ्लैट से भी रकम बरामद की गई थी, जिससे कुल बरामद धनराशि 49.8 करोड़ रुपये तक पहुंच गई थी। ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दाखिल मामले में भी पार्थ और अन्य शिक्षा अधिकारियों, जैसे सुबीरश भट्टाचार्य और शांतिप्रसाद सिंह, को गिरफ्तार किया गया था। इन सभी ने हाई कोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की थी।

पार्थ चटर्जी के वकील का तर्क है कि अब पार्थ किसी भी पद पर नहीं हैं और उनका कोई प्रभाव भी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार की जो ‘प्रभावशाली व्यक्ति’ वाली दलील थी, वह अब पार्थ के खिलाफ लागू नहीं हो सकती। इसके समर्थन में उनके वकील ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तृणमूल नेता अनुब्रत मंडल की जमानत का हवाला भी दिया।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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