जयपुर, 4 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-11 ने सरकारी लेटर पैड पर थाने में सीएलजी सदस्य नियुक्त करने की सूची जारी करने के मामले में उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा के खिलाफ दायर परिवाद को वापस लेने के आधार पर उसे खारिज कर दिया।
सुनवाई के दौरान अदालत ने नए आपराधिक कानून के तहत परिवादी को मामले में परिवाद पेश करने की शक्ति नहीं होने की जानकारी दी। अदालत ने कहा कि नए आपराधिक कानून के तहत सम्बंधित लोक सेवक के खिलाफ उसका वरिष्ठ अधिकारी परिवाद दायर कर सकता है। ऐसे में परिवादी ने अपना परिवाद वापस लेने की अनुमति मांगी। इस पर अदालत ने परिवाद को वापस लेने के आधार पर उसे ख़ारिज कर दिया।
परिवादी परिवादी बलराम जाखड़ ने अपने परिवाद में डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा को आरोपित बताने हुए कहा गया था कि राजस्थान पुलिस नियम के नियम 55 में प्रावधान है कि सीएलजी सदस्यों की नियुक्ति पुलिस अधीक्षक की ओर से की जाएगी। वहीं नियम 12 के तहत ऐसे किसी व्यक्ति को सीएलजी सदस्य के तौर पर नियुक्त नहीं किया जा सकता, जो कि राजनीतिक दल से जुडा हुआ हो। इसके बावजूद डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा ने गत 21 जून को अपने अपने लेटर पैड पर 15 सीएलजी सदस्यों को मनोनीत कर उसकी सूची मौजमाबाद थानाधिकारी को भेज दी। जबकि नियमानुसार यह शक्ति सिर्फ पुलिस अधीक्षक को प्राप्त है। इसके अलावा इस मनोनयन में नियम 12 के प्रावधानों की पालना भी जरूरी है। गौरतलब है कि बीते दिनों डिप्टी सीएम बैरवा का एक लेटर पैड सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। जिसमें मौजमाबाद थानाधिकारी को संबोधित करते हुए पन्द्रह लोगों को थाने में सीएलसी सदस्य के तौर पर मनोनीत करने के लिए लिखा गया था।
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(Udaipur Kiran)