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भारतीय परिवार की जीवन शैली को बिगाड़ने का अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र चल रहा हैः बाबूलाल

भारतीय परिवार की जीवन शैली को बिगाड़ने का अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र चल रहा हैः संघ प्रांत प्रचारक बाबूलाल
भारतीय परिवार की जीवन शैली को बिगाड़ने का अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र चल रहा हैः संघ प्रांत प्रचारक बाबूलाल
भारतीय परिवार की जीवन शैली को बिगाड़ने का अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र चल रहा हैः संघ प्रांत प्रचारक बाबूलाल

जयपुर, 29 सितंबर (Udaipur Kiran) । भारतीय परिवार की जीवन शैली को बिगाड़ने का अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र चल रहा है। इस षड़यंत्र से परिवार प्रबाेधान ही बचा सकता है। इसलिए परिवार के साथ बैठकर प्रतिदिन संवाद करें। संयुक्त परिवार का होना आज की आवश्यकता है। पूरे विश्व में सबसे ज्यादा युवा भारत में ही हैं, पर जिस प्रकार से भारत में परिवारों में पश्चिमी संस्कृति हावी हो रही है, वह चिंताजनक है। साल 2035 के बाद भारत में युवाओं की संख्या कम होती जाएगी। उन्हाेंने कहा कि यदि माता-पिता का विश्वास भंग हो जाता है तो वे भी अपने बच्चों की परिवरिश के प्रति उदासीन हो जाते हैं। माता-पिता स्वार्थी हो जावेंगे और अपनी बचत को अपने ही बच्चों के शिक्षा और स्वावलम्बन पर व्यय नहीं करेंगे। वे बेरोजगारी में उनकी सहायता नहीं करेंगे। इस प्रकार बालक और बालिकाएं माता-पिता के होते हुए अनाथ हो जावेंगे। इससे अन्योन्याश्रित संरक्षण की पारिवारिक सुरक्षा भंग हो जाएगी, जिसकी स्थापना भारत में पारस्परिक कर्तव्य और धर्म के आधार पर की गई थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक बाबूलाल रविवार काे दशहरा मैदान में चल रहे हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउंडेशन की ओर से आयोजित हिंदू मेले में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे।

इक्कीस सौ माता-पिता के परिवारों ने किया मातृ पितृ वंदन

जयपुर के दशहरा मैदान में चल रहे हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउंडेशन की ओर से आयोजित हिंदू मेले में रविवार को मातृ पितृ वंदन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रदेश सचिव सोमकांत शर्मा ने बताया कि 2 हजार 100 माता-पिता के परिवारों सहित वंदन किया गया। पश्चिमीकरण से अभिभावकों के प्रति पुनः आदर का भाव जगाने को चुनौती मिली है। इसलिए मातृ-पितृ वन्दन के मूल्यों को परिवार और राष्ट्र के व्यापक हित में पुनः जागृत करने की आवश्यकता है।

पश्चिमी भौतिकवादी सोच से भारत की माता-पिता- शिक्षक – अतिथि आदि के सम्मान की परम्परा को महत्वहीन माना जाने लगा है। माता-पिता के लाड़-प्यार तथा त्याग-बलिदान से पोषित किए गए उन्हीं के बच्चे आज उन्हें प्रताड़ित करने लगे हैं। अनेक माता-पिता वृद्धाश्रमों में रहने को बाध्य हैं। जिस समय उन्हें अपने बच्चों से प्रेम की आशा थी, उस समय उन्हें निराशा हुई । संसार में उनके प्रति कोई भी प्रेम से भरा प्याला लेकर सेवा में उपस्थित नहीं रहता। वे इस पीड़ा से चीत्कार कर उठते हैं।

हम दो हमारे दो के कारण हिंदू परिवारों की संख्या कम होती जा रही हैः विधायक बालमुकुंदाचार्य

हवामहल से विधायक स्वामी बालमुकुंदाचार्य ने कहा कि आज भारत में परिवार टूट रहे हैं परिवार टूटने का मुख्य कारण है भारत में नई पीढ़ी का संस्कारों के प्रति उदासीनता पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित होकर आज परिवार एक साथ नहीं रह रहे हैं। परिवारों में विघटन हो रहा है। हम दो हमारे दो के कारण हिंदू परिवारों की संख्या कम होती जा रही है। आज भारत में यदि नई पीढ़ी में संस्कारों की स्थापना करनी है तो मातृ पितृ वंदन कार्यक्रम प्रतीक के रूप में बहुत अच्छा उदाहरण है। कार्यक्रम में हेरिटेज महापौर कुसुम यादव हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउंडेशन के चेयरपर्सन किशोर रूंगटा, प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बापना, कोषाध्यक्ष दिनेश पितलिया मौजूद रहे। कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम संयोजक सुमित खंडेलवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

जातिगत आधार पर हिंदू धर्म को बांटने का प्रयास

कार्यक्रम संयोजक राजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य वर्तमान में भारत को बांटने की भावना से जो नेरेट सेट किया जा रहा है उसमें जातिगत आधार पर हिंदू धर्म को बांटने का प्रयास किया गया है। एक जो इस कार्यक्रम में सबसे बड़ा उद्देश्य है वह यह है कि हमारे हिंदू धर्म के अंदर ऐसे लोग जो आपस में सद्भाव कायम करने के लिए विशेष काम किया है। जैसे भीमराव अंबेडकर, महात्मा ज्योति राव फुले उन्होंने महिला शिक्षा के ऊपर जबरदस्त काम किया। भीमराव अंबेडकर ने हमारे देश का संविधान लिखा। सद्भाव कायम करने के लिए काम किया। उन्होंने दलितों के अधिकारों का हनन नहीं होने दिया।

पर्यावरण के घटकों को सूक्ष्म रूप से अपनाने वाले प्रथम वैज्ञानिक भारत भूमि के ऋषि मुनि ही थे । जिन्होंने अथर्ववेद में पृथ्वी को माता और पर्जन्य को पिता मानते हुए कहा कि माता भूमिः पुत्रोहम् पृथिव्याः। यही सिद्धांत आगे जाकर वसुधैव कुटुंबकम के रूप में प्रकट हुआ। सनातन संस्कृति में जाति, वर्ण, वर्ग, समुदाय, कुल, वंश, रंग इत्यादि के आधार पर भेदभाव जैसी किसी व्यवस्था के प्रचलन का प्रमाण नहीं मिलता। फिर भी प्रचारित किया गया कि कुछ वर्ग-विशेष के साथ भेदभाव एवं अन्याय हुआ और उन्हें शिक्षा सहित अन्य मूलभूत संसाधनों से वंचित रखा गया, जिससे वह विकास की धारा में सम्यक रूप से गतिमान नहीं हो सके। विपरीत इसके सनातन संस्कृति में मूलतः कर्म ही वर्ण व्यवस्था का केंद्र बिंदु था। कार्यक्रम में सहसंयोजक बाबूलाल दंतोनिया कन्हैया बेरवाल कुलभूषण बैराठी उपस्थित रहे।

द हिंदू स्पिरिचुअल अवेकनिंग कॉन्क्लेव कार्यक्रम आयोजन

कार्यक्रम में प्रदीप भंडारी (राष्ट्रीय प्रवक्ता भाजपा) ने कहा कि हमारे देश का लोकतंत्र हिंदू बहुसंख्यक होने के कारण ही बचा हुआ है। हिंदुस्तान में तेजी से हिंदुओं की जनसंख्या घाट रही है। पड़ोसी देश बांग्लादेश अफगानिस्तान में लोकतंत्र का खात्मा हो गया है। झारखंड में दुर्गा पूजा में पत्थर बाजी हम सबके सामने है। देश में बेरोजगारी सबसे ज्यादा केरला में है केरला में हिंदुओं की जन्म दर तेजी से घटती गई डेमोक्रेसी का बदलाव डेमोग्राफी पर निर्भर करता है। कोलकाता में हुए डॉक्टर के साथ हुई बर्बरता का उदाहरण हमारे सामने है। वहा डेमोग्राफी बदली हुई है इसलिए आज तक उस बेटी को न्याय नहीं मिला।

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(Udaipur Kiran)

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