इतिहास घटनाओं का नहीं, विचारों का होता है : प्रो.राजवन्त राव
गोरखपुर, 27 सितंबर (Udaipur Kiran) । दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग की ओर से शुक्रवार को एक व्याख्यान आयोजित किया गया। इस व्यवाख्यान में मुख्य अतिथि एवं भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव डॉक्टर ओमजी उपाध्याय ने कहा कि जीवन में सफलता श्रम साध्य और समय साध्य होती है। लक्ष्य का निर्धारण, रणनीति, समर्पण और परिश्रम ही सफलता की कुंजी है, ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं, जिन्होंने अपने जीवन की सभी विसंगतियों को धता बताते हुए केवल इन्हीं गुणों के बल पर शिखर तक की यात्रा की। वास्तव में हमारी इच्छा शक्ति अणु शक्ति से भी अधिक प्रबल है, जीतते वहीं हैं, जिनमें जीतने का विश्वास होता है।
उन्होंने कहा कि हेलेन केलर अंधी, गूंगी और बाहरी थी, फिर भी खूब पढ़ी और दुनिया की प्रारंभिक पीएचडी में उसका नाम अग्रणी है। व्हिल्मा रुडोल्फ बचपन में ही लकवाग्रस्त हो गया था, लेकिन केवल अपने दृढ़ निश्चय और परिश्रम के दम पर उसने ओलंपिक में चार स्वर्ण पदक जीते। हमारे आसपास भी ऐसे ढेर सारे उदाहरण हमें मिल जाते हैं। सफलता का एक ही सूत्र है- सही दिशा, समर्पण, अनुशासन और समयबद्धता तथा अपने प्रयासों पर विश्वास कीजिए तो कोई भी मंजिल बड़ी और दूर नहीं है और हां, यह मत भूलिए कि हम आनंद की संततियां हैं। तितली का जीवन केवल 14 दिन का होता है किंतु अपने पूरे जीवन में वह प्रसन्नता बिखेरती है।
उन्होंने दो पत्थरों की कथा सुनाते हुए कहा कि यह मानते हुए कि पत्थर बोल सकते हैं, जब एक पत्थर से पूछा गया कि क्या आप खुद को मूर्ति बनाए जाने के लिए तैयार हैं? लेकिन इस प्रक्रिया में आप पर छेनी-हथौड़ी और ब्रश चलाया जाएगा। क्या आप इस वेदना या दर्द से गुजरने के लिए तैयार हैं? उसके मना करने पर दूसरे पत्थर ने स्वीकार किया और मूर्ति बनकर तैयार हुई। वास्तव में मूर्ति वरेण्य इसीलिए होती है क्योंकि उसने तराशे जाने का दर्द सहा होता है।
उन्होंने विद्यार्थियों को इसी प्रक्रिया से गुजरने का आह्वान किया। बिना संकटों से जूझे या आग में गले सोना बनता नहीं। उन्होंने बताया कि भारत आंकड़ों के लिहाज से आज युवा आबादी के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा देश है। वास्तव में राष्ट्र की जीवनी शक्ति और ताकत युवाओं के हाथ में ही है। उनकी ऊर्जा, उत्साह, रचनात्मकता अजेय होती है। यह भारत का अमृत काल है साथ ही आपका भी। भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में विकसित करने, शिक्षा, चिकित्सा परिवहन, डिजिटाइजेशन इन सब क्षेत्रों में दुनिया में सिरमौर बनने का यह दौर चल रहा है।
उन्होंने कहा कि युवा रोजगार प्रदाता के रूप में भी उभरे हैं। भारत आज 340 अरब डॉलर के 100 यूनिकॉर्न के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी स्टार्टअप इकोसिस्टम के रूप में उभरा है। यह राष्ट्र जीवन का विशेष कालखंड है, जब हम लंबी छलांगें लगा रहे हैं। 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य केवल और केवल युवाओं पर निर्भर है, इसलिए उसी ऊर्जा के साथ काम करते हुए, अपने विरासत पर गर्व करने करते हुए और गुलामी की मानसिकता से मुक्त होते हुए हम फिर से भारत को विश्व गुरु के रूप में निश्चित रूप से स्थापित करेंगे।
प्रोफेसर राजवंत राव ने कहा कि हमारे राष्ट्रवादी इतिहासकारों ने 20वीं शताब्दी के आरंभ में पश्चिमी विचार तंत्र के समानांतर भारतीय विचार तंत्र को खड़ा किया। उन्होंने डॉक्टर ओम जी उपाध्याय का परिचय कराते हुए कहा कि भारतीय चित्र के अनुरूप इतिहास लेखन के हामी हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि निरंतर के साथ परिश्रम करते रहने से परिणाम निकलता है। परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है।
इतिहास विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर प्रज्ञा चतुर्वेदी ने प्राचीन इतिहास विभाग के गौरवशाली परंपरा को बताते हुए ओम जी उपाध्याय को भी एक बड़ी कड़ी बताया। इस मौके पर छात्रों ने ओमजी उपाध्याय से बहुत सारे प्रश्न किया, जिसका विवेक सम्मत उत्तर ओम जी द्वारा दिया गया। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी व प्रोजेक्ट लिखने साक्षात्कार देने के बहुत सारे टिप्स ओम जी ने विद्यार्थियों को बताएं। इस संवाद कार्यक्रम में दो रामप्यारी मिश्रा डॉक्टर सुधाकर लाल, डॉक्टर पद्मजा सिंह, डॉक्टर नरेंद्र यादव, डॉ विनोद कुमार आदि उपस्थित रहे।
(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय