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फर्जी एनओसी से ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले में चिकित्सकों को मिली जमानत

हाईकोर्ट जयपुर

जयपुर, 26 सितंबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने फर्जी एनओसी के जरिए ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने से जुडे मामले में आरोपी डॉक्टर्स संदीप गुप्ता व जितेंद्र गोस्वामी सहित कंपाउंडर भानू लववंशी को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। जबकि किडनी ट्रांसप्लांट करवाने वाले बांग्लादेशी नागरिक अहसान उल कोबिर, नुरूल इस्लाम सहित सुखमय नंदी, सुमन जाना व कोऑर्डिनेटर विनोद सिंह को जमानत देने से इनकार कर दिया है। जस्टिस गणेश राम मीना ने यह आदेश आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर दिया।

अदालत ने फैसले में कहा कि डॉ. संदीप गुप्ता ने अस्पताल प्रशासन को एनओसी पेश करने के बाद ही ऑपरेशन किए थे, ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि दोनों डॉक्टर्स फर्जी एनओसी लेने की कार्रवाई में शामिल रहे हैं या उन्हें फर्जी एनओसी की जानकारी थी। इसके अलावा टोहो अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार भी एनओसी तैयार करने में भी उनकी कोई भूमिका नहीं रही है। वहीं अदालत ने बचाव पक्ष की इस दलील को भी माना कि टोहो एक्ट की धारा 22 के तहत केस में पुलिस की चार्ज शीट के आधार पर कोर्ट प्रसंज्ञान ही नहीं ले सकती। अदालत ने आरोपी बांग्लादेशी नागरिक नुरूल इस्लाम सहित अन्य की जमानत याचिकाएं यह कहते हुए खारिज कर दी कि उनके खिलाफ ऑर्गन ट्रांसप्लांट करवाने के लिए फर्जी एनओसी लेने का अपराध प्रथम दृष्टया साबित है और यह गंभीर अपराध है। दरअसल कंपाउंडर भानू लववंशी ने अधिवक्ता दीपक चौहान, डॉ. संदीप गुप्ता ने अधिवक्ता हेमंत नाहटा व डॉ. जितेन्द्र गोस्वामी ने अधिवक्ता रिपुदमन सिंह के जरिए जमानत याचिकाएं दायर कर अदालत से जमानत दिए जाने का आग्रह किया था। डॉ. संदीप गुप्ता की ओर से कहा कि पूरे मामले में राज्य सरकार के अफसरों ने अनुसंधान अधिकारी के साथ मिलकर कानूनी तौर पर धोखा किया है। मामले में कोई पीडित व्यक्ति ही नहीं है और ना ही कोई मानव तस्करी का शिकार व्यक्ति पेश हुआ है। ऐसे में उनकी ओर से कोई अपराध ही नहीं किया है। जबकि नुरूल इस्लाम व अन्य की ओर से कहा कि उन्होंने तय कानूनी प्रक्रिया के तहत ही आर्गन ट्रांसप्लांट करवाए थे। उन्हें यह नहीं पता था कि आर्गन ट्रांसप्लांट के लिए फर्जी एनओसी ली गई है।

(Udaipur Kiran)

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