हिसार, 22 सितंबर (Udaipur Kiran) । ओशो सिद्धार्थ फाउंडेशन के तत्वाधान में ओशोधरा मैत्री संघ की ओर से कौशिक नगर स्थित साधना केंद्र में आयोजित संडे ध्यान में आचार्य दिनेश ने विपश्यना ध्यान करवाया। उन्होंने बताया कि विपश्यना ध्यान ने मानव जीवन को सच्चे सुख और शांति की ओर प्रवृत्ति किया है, जिसका अर्थ है खुद को देखना।
आचार्य दिनेश ने कहा कि विपश्यना ध्यान का मुख्य उद्देश्य आत्मा के अंदर की गहराइयों में जाकर सत्यता की प्राप्ति करना है। इस ध्यान पद्धति के माध्यम से, व्यक्ति अपने चित्त को शांत, स्थिर, और एकाग्रचित्त में लेकर जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने का प्रयास करता है। विपश्यना ध्यान का अभ्यास करने के लिए व्यक्ति को एक सुखद और शांतिपूर्ण स्थान चुनना चाहिए, जहां वह बिना किसी अफरा-तफरा के अपनी आत्मा की खोज में रत रह सके।
यह ध्यान आत्मा के अंदर की गहराईयों में जाने का माध्यम होता है जिससे व्यक्ति अपने स्वार्थ, अवस्था और जीवन के मूल्यों को समझ सकता है। विपश्यना ध्यान का अभ्यास करने से व्यक्ति को मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को देखने की क्षमता मिलती है। इसके माध्यम से वह अपने आत्मा को जानकर अपने आत्मसमर्पण का अनुभव करता है और स‘चे आनंद का स्रोत खोजता है। विपश्यना ध्यान का अभ्यास करने से मानव जीवन में सामंजस्य, साहस, और शांति का अहसास होता है।
ध्यान के बाद ओशोधारा हरियाणा के संयोजक आचार्य सुभाष ने हमारे जीवन में ध्यान के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए ओशोधारा के कार्यक्रमों के बारे चर्चा की। हर घर ध्यान के उद्देश्य को पूरा करने के लिए ओशोधारा हर सप्ताह पूरे देश में अलग-अलग जगहों पर ध्यान योग के तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित करता है।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर