Haryana

सोनीपत: अंतरराष्ट्रीय मानव मिलन सम्मेलन में सेवा और मानवता का संदेश

सोनीपत: अंतराष्ट्रीय मानव मिलन सम्मेलन में असम के पूर्व राज्यपाल जगदीश मुखी को सम्मानित करते हुए समाज के प्रतिनिधि सदस्य
सोनीपत:  पुजा करते हुए

-अंतराष्ट्रीय मानव

मिलन सम्मेलन का भव्य आगाज

-सेवा का कार्य समाज

में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देता है : जगदीश मुखी

सोनीपत, 21 सितंबर (Udaipur Kiran) । सेक्टर 14 स्थित जैन स्थानक में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय

मानव मिलन सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें समाज के विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालु एकत्रित

हुए, साथ ही नेपाल से भी श्रद्धालुओं ने भाग लिया। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य मानवता

की सेवा के प्रति जागरूकता फैलाना और जैन धर्म के सिद्धांतों को समझाना था। जैन मुनि डॉ. श्री मणिभद्र मुनि जी महाराज ने अपने प्रवचन

में सेवा और अहिंसा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सेवा केवल एक क्रिया

नहीं, बल्कि यह हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए। जैन धर्म में ‘अहिंसा’ और

‘सर्वजीवों की सेवा’ को प्रमुखता दी गई है। मुनि जी ने उदाहरण देकर बताया कि कैसे छोटे-छोटे

प्रयास समाज पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं और हमें निस्वार्थ भाव से सेवा के कार्यों

में जुटे रहना चाहिए। शनिवार को असम के पूर्व राज्यपाल जगदीश मुखी, मुख्य अतिथि के रूप में

उपस्थित थे। उन्होंने जैन धर्म की सेवा भावना की प्रशंसा करते हुए कहा कि सेवा समाज

में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देती है। दूसरों की सहायता करने से हम न केवल उनके जीवन

को बेहतर बनाते हैं, बल्कि आत्मिक संतोष भी प्राप्त करते हैं। उन्होंने सेवा को मानवता

का सबसे बड़ा धर्म बताया।

इस अवसर पर डॉ. राजू अधिकारी, रामचंद्र पोरियाल, शीला जैन,

बिजेंदर जैन, और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। मुनि जी ने

सम्मेलन को मानवता के प्रति जिम्मेदारी का एक महत्वपूर्ण चरण बताते हुए इसे समाज में

सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम बताया। डॉ श्री मणिभद्र मुनि जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा हमें

अपने कार्यों में निस्वार्थ भाव से सेवा करनी चाहिए। मुनि जी ने उदाहरण देकर बताया

कि किस प्रकार हमारे छोटे-छोटे प्रयास भी समाज पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं। सेवा की

परंपरा को अपनाकर हम सभी एक बेहतर समाज की ओर बढ़ सकते हैं। उन्होने कहा इस तरह के

सम्मेलन केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि मानवता के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का एक

महत्वपूर्ण चरण है। हमें इसे संजीवनी के रूप में लेना चाहिए और आगे बढ़कर समाज में

सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में प्रयासरत रहना चाहिए।

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(Udaipur Kiran) परवाना

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