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पाकिस्तानी नागरिक की सम्पत्ति से फ्राड कर खरीदने वालों को राहत नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट

-एफआईआर रद्द करने व गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग में दाखिल याचिका खारिज

प्रयागराज, 20 सितम्बर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पाकिस्तानी नागरिक की मौत का फर्जी प्रमाणपत्र तैयार कर उसकी सम्पत्ति राजस्व अभिलेखों में अपने नाम दर्ज कराने वाले से खरीदने के आरोपियों को राहत देने से इंकार कर दिया है।

याचिका में दर्ज एफआईआर को चुनौती देते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने आरोप संज्ञेय माना और हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति वी के बिड़ला तथा न्यायमूर्ति ए के सिंह देशवाल की खंडपीठ ने फरहाना व सदरूल इस्लाम की याचिका पर दिया है।

एक अन्य खरीदार मोहित सचान की याचिका को कोर्ट ने पोषणीय नहीं माना तथा कहा कि वह एफआईआर में नामित नहीं है। और याचिका खारिज करते हुए कहा वह कानून के तहत कार्यवाही कर सकते हैं।

मालूम हो की देश के बंटवारे के समय कानपुर देहात, थाना भोगनीपुर की रहने वाली जाफरी बेगम पाकिस्तान चली गई थी और वहीं की नागरिकता ले ली। वह 2008 मे कुछ दिन के लिए भारत आई थीं और कराची वापस चली गई थी। कराची में 28 जनवरी 11 को अस्पताल में उसकी मौत हो गई। एजाज अहमद ने वारिस के तौर पर जाफरी बेगम की सम्पत्ति अपने नाम दर्ज करा ली। 7 मार्च 2004 को जाफरी की मौत का फर्जी प्रमाणपत्र के जरिए ऐसा किया गया। इस फ्राड में याची सदरूल इस्लाम व इनकी बीबी फरहाना के शामिल होने का आरोप है।

जाफरी बेगम की मौत के बाद जांच की गई तो पासपोर्ट से पता चला 28 फरवरी 08 को वह भारत आई थीं और 3 अप्रैल 8 को कराची वापस चली गई। 28 जनवरी 11 को कराची के अस्पताल में जाफरी बेगम की मौत हुई है। और 7 मार्च 04 को उसकी झूठी मौत का बयान देकर बड़ा फ्राड किया गया है। जिस पर 5 अगस्त 24 को भोगनीपुर थाने में एफआईआर दर्ज की गई।

याची का कहना था कि उसने एजाज अहमद से जमीन खरीदी है। राजस्व अभिलेखों में उनका नाम दर्ज था, उसने कोई अपराध नहीं किया है। एफआईआर रद्द किया जाय। यह भी कहा कि एक अन्य केस में पुलिस ने चार्जशीट दी थी। जिसे एजाज अहमद ने हाईकोर्ट में पक्षकारों के बीच समझौते के आधार पर चुनौती दी थी। केस कार्यवाही रद्द कर दी गई है। अब उसी मामले में दूसरी एफआईआर दर्ज करना कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग है।

शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि उस समझौते का इस केस से सरोकार नहीं है। वह प्राइवेट पक्षकारों के बीच समझौते का मामला था। जाफरी बेगम के पाकिस्तान जाने के कारण निष्क्रांत शत्रु सम्पत्ति हो गई थी। जो सरकार में निहित हो गई थी। फ्राड कर अपने नाम दर्ज कराकर बेची गई, जो अपराध है।

(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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