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एसीबी ने महापौर के खिलाफ पेश की 2502 पेज की चार्जशीट

निगम

जयपुर, 19 सितंबर (Udaipur Kiran) । महापौर मुनेश गुर्जर की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। एसीबी ने महापौर मुनेश गुर्जर के खिलाफ 2502 पन्नों की चार्ज शीट पेश की है। नगर निगम द्वारा जारी पट्टे की एवज में भ्रष्टाचार के मामले में स्वायत्त शासन विभाग से मिले नोटिस के बाद गुरुवार को एसीबी कोर्ट में सुनवाई हुई। कमर दर्द के चलते महापौर कोर्ट में उपस्थित नहीं हुई।

एसीबी की टीम ने कोर्ट में गुरुवार को मुनेश गुर्जर उनके पति सुशील गुर्जर, नारायण और अनिल के खिलाफ चार्जशीट पेश की है जिसकी कोर्ट द्वारा जांच की जा रही है। ऐसे में सभी कागजात सही मिलने पर कोर्ट द्वारा चार्जशीट स्वीकार की जाएगी। इसके बाद मेयर द्वारा भेजे गए मेडिकल सर्टिफिकेट पर भी कोर्ट विचार कर अंतिम फैसला लेगा।

महापौर के वकील दीपक चौहान ने मेडिकल सर्टिफिकेट कोर्ट में पेश किया। इसमें बताया कि उनके कमर में काफी दर्द है। इसका इलाज वे दिल्ली में करवा रही हैं और डॉक्टर ने उन्हें 7 दिन का बेड रेस्ट बताया है। ऐसे में फिलहाल वह कोर्ट में पेश नहीं हो पाएंगी। वहीं वकील का कहना है कि जो आरोप लगाए गए है, वे तथ्यहीन है।

वकील दीपक चौहान ने बताया कोर्ट में एसीबी द्वारा चार्जशीट पेश की गई है। इसमें क्या आरोप लगाए हैं, इस बारे में तो फिलहाल मुझे कोई जानकारी नहीं है। यदि मुनेश गुर्जर के खिलाफ किसी भी तरह का साक्ष्य होता। तो एसीबी की टीम पिछले 1 साल में इन पर कार्रवाई करती लेकिन ऐसा नहीं होना यह बताता है कि इस मामले में मुनेश गुर्जर का कोई इन्वॉल्वमेंट नहीं है। इस मामले को लेकर हमने हाईकोर्ट में भी याचिका लगाई है। इस पर 21 सितंबर को सुनवाई होगी।

गौरतलब है कि इससे पहले नगर निगम हेरिटेज मेयर मुनेश गुर्जर को एक बार 3 दिन का नोटिस दिया गया है। बुधवार को दिनभर चली कशमकश के बाद देर रात स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने मुनेश गुर्जर को तीन दिन का नोटिस देने का आदेश जारी किया। ऐसे में अब मेयर मुनेश के भविष्य पर 21 सितंबर के दिन फैसला होगा।

स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि अधिकारियों की गड़बड़ी और लापरवाही की वजह से मेयर को फिर नोटिस देना पड़ रहा है। ऐसे में अब 3 दिन के नोटिस के बाद ही मुनेश गुर्जर प्रकरण पर कोई फैसला किया जाएगा। जो भी न्यायसंगत कार्रवाई होगी, वह जरूर होगी। मुनेश गुर्जर पर जो भी फैसला होगा। इसके बाद ही कार्यवाहक मेयर को लेकर पार्षदों से चर्चा की जाएगी। जो भी पार्षद राजनीति की समझ रखता होगा, जिसमें शैक्षणिक योग्यता होगी, उसे पैमाना मानकर ही कार्यवाहक मेयर चुना जाएगा। वर्तमान मेयर के खिलाफ हमारे पास कांग्रेसी पार्षद भी आए हैं। उन्होंने भी इस बात को स्वीकार किया है कि हमारी मेयर ने जमकर भ्रष्टाचार किया है। ऐसे में कार्यवाहक मेयर बनाने में किसी तरह की दिक्कत नहीं आएगी।

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(Udaipur Kiran) / राजेश

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