कन्नौज, 19 सितंबर (Udaipur Kiran) । विधायक तिर्वा कैलाश राजपूत एवं जिलाधिकारी शुभ्रान्त कुमार शुक्ल ने कलेक्ट्रेट परिसर में दो दिवसीय किसान आलू गोष्ठी/प्रदर्शनी का समापन किया। इस अवसर पर आलू की खेती करने वाले प्रगतिशील किसान अभिलाष सिंह यादव, अभिषेक सिंह, अजय प्रताप सिंह, दिनेश चन्द्र द्विवेदी आदि कुल 10 कृषकों को सम्मानित किया गया।
विधायक ने अपने संबोधन में कहा कि किसानो के हित में किसान मेला/गोष्ठी आदि अनेक कार्यक्रम समय-समय पर किये जाते हैं। गोष्ठी में वैज्ञानिको द्वारा दी जाने वाली जानकारी को गहनता से सुने और अपनी नोट बुक में नोट भी करें। वैज्ञानिकों द्वारा दी जाने वाली जानकारी को अपनी खेती में प्रयोग कर कम लागत से अधिक पैदावार करें। उन्होने कहा कि पूर्व में जिलाधिकारी से मिलना कठिन होता था लेकिन वर्तमान जिलाधिकारी प्रत्येक कार्यालय दिवस में 10ः00 बजे से 12ः00 बजे तक जनता की बात सुनते हैं और उनकी समस्याओं का समय से निस्तारण भी करतें हैं। पब्लिक को सरकार की प्रत्येक महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ मिले इसके लिये वह निरन्तर कार्य कर रहे हैं।
जिलाधिकारी ने कहा कि हमारा जनपद इत्र से जाना जाता है और आलू से भी जाना जाये ऐसे प्रयास किये जा रहे हैं। अब आलू के लिये धीरे-धीरे हमारा जनपद विख्यात हो रहा है, जो दो से तीसरे स्थान पर पहुंच गया है इसे और बढ़ाया जाये जिससे किसानो की आय दोगुनी हो सके। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान मोदीपुरम् मेरठ के वैज्ञानिकों द्वारा बीज शोधन एवं रख रखाव, समय से बीज रोपड़, सिचाई की विधि, कीटों की पहचान एवं उचित दवा का छिडकाव आदि बिन्दुओ एवं नई तकनीकी खेती पर भी किसानों को जानकारी दी जा रही है। उनकी बातो को ध्यान से सुने और अपने सवाल भी पूंछे। विभिन्न कम्पनियों द्वारा बीजो के किस्म एवं कम्पोनेन्ट का प्रदर्शन भी किया जा रहा है जिससे आप लोगो को जानकारी हो सके। उन्होंने कहा कि जमीन की उर्वरक क्षमता बनी रहे इसलिये वैज्ञानिक ढंग से खेती करना होगा।
गोष्ठी में कृषि वैज्ञानिक डा0 सुशील कुमार ने कहा कि मक्का की बुबाई का कार्य हर हाल में 25 फरवरी तक पूर्ण करे। विलम्भ की दशा में तापमान अधिक हो जाने के कारण भुट्टों में दाने की कमी हो जाती है। वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक एवं कार्यक्रम संचालक डा0 अरविन्द कुमार ने मक्के की खेती में जलवायु के प्रवाह पर विस्तृत जानकारी दी। वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 अजय कुमार यादव, चन्द्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय कानपुर ने बताया कि आलू पर विशेष परियोजना पर कार्य किया जा रहा है। कृषकों के द्वारा आलू की खेती हेतु परपंरागत विधियों के स्थान पर तकनीकी को अपनाये जाने की आवश्यकता है।
इसी कडी में केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान मोदीपुरम् मेरठ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 अशोक कुमार चौहान ने कहा कि बीडर सीड केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान को अनुमन्य है, अन्य किसी कम्पनी को यह अधिकार नही है, कि वह बीडर सीड बना सके। संस्थान बीडर सीड बनाकर राज्य सरकार को मुहैया कराता है। राज्य सरकार बीडर सीड से आलू की नई प्रजाति बनाकर किसानों को मुहैया करा रही है, जिससे नई प्रजाति की आलू की अच्छी पैदावार करके किसान अपनी आय दोगुना कर सकते है। उन्होनंे किसानों को भी नया बीज बनाने के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। राज्य सरकार विभिन्न आलू की व्यवसायक प्रजातियों की खेती के बारे में बताते हुये आलू की खेती में सूक्ष्म सिचाई प्रणाली, ड्रिप स्प्रिंकलर सिचाई के महत्व व लाभ पर विस्तार से चर्चा की। डा0 विश्वनाथ ने टिसूकल्चर विधि से आलू उत्पादन के बारे में बताया। केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान मोदीपुरम् मेरठ वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 संजीव कुमार ने बताया कि जनपद में आलू प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना की जाये तो किसान भाईयों को अपनी उपज का अच्छा मूल्य प्राप्त हो सकता है।
गोष्ठी में डीडी कृषि प्रमोद सिरोही, जिला कृषि अधिकारी आवेश कुमार सिंह, जिला उद्यान अधिकारी सी0पी0 अवस्थी, जिला कृषि रक्षा अधिकारी अविशाॅक सिंह चौहान आदि उपस्थित रहे।
(Udaipur Kiran) झा