Bihar

क्षमा याचना के साथ जैन धर्मबलम्बियों का महा पर्यूषण पर्व संपन्न

कार्यक्रम में धर्मावलम्बी

नवादा, 18 सितम्बर (Udaipur Kiran) । जैन धर्मावलम्बियों के आत्मशुद्धि का ग्यारह दिवसीय महापर्व ‘पर्यूषण’ बुधवार को विगत में हुये भूलों के लिए एक दूसरे से क्षमायाचना के साथ सोल्लास सम्पन्न हो गया।

जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर के प्रथम शिष्य गौतम गणधर स्वामी की निर्वाण भूमि श्री गोणावां जी दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र पर गत आठ सितम्बर से शुरू इस महापर्व के अंतिम दिन जैन धर्मावलम्बियों ने मंदिर में क्षमावाणी धर्म की विशेष पूजा-अर्चना कर सर्वप्रथम भगवान से क्षमायाचना की। तत्पश्चात विगत में हुये सभी प्रत्यक्ष-परोक्ष भूलों के लिए एक दूसरे से क्षमायाचना की। इसके पूर्व जैन धर्मावलम्बियों ने दसलक्षण धर्म के दस स्वरूपों में शामिल क्रमवार उत्तम क्षमा धर्म, उत्तम मार्दव धर्म, उत्तम आर्जव धर्म, उत्तम शौच धर्म, उत्तम सत्य धर्म, उत्तम संयम धर्म, उत्तम तप धर्म, उत्तम त्याग धर्म, उत्तम आकिंचन्य धर्म एवं उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की विशेष पूजा अर्चना की।

जैनियों ने अनंत चतुर्दशी पर्व के आलोक में जैन धर्म के चौदहवें तीर्थंकर अनंतनाथ की भी विशेष पूजा-अर्चना कर उपवास रखा, जबकि बारहवें तीर्थंकर वासुपूज्य के मोक्ष कल्याणक के आलोक में आज उनकी विशेष आराधना कर श्रद्धालुओं ने उनके चरणों में निर्वाण लड्डू समर्पित किये। जैन समाज के वरीय प्रतिनिधि दीपक जैन ने पर्यूषण महापर्व के महत्व एवं महिमा पर विशेष प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पर्यूषण महापर्व आत्मशोधन का महापर्व है। इस दस दिवसीय महापर्व के दौरान जैन धर्मावलम्बी दसलक्षण धर्म के सभी दस स्वरूपों की विशेष आराधना कर अपनी आत्मशुद्धि करते हुये प्राणीमात्र के कल्याण की कामना करते हैं।

इस ग्यारह दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान में क्षेत्र के उप प्रबंधक अभिषेक जैन, स्थानीय जैन समाज की श्रुति जैन, श्रेया जैन, अशोक कुमार जैन, शीला जैन, सुलोचना जैन, अरूणेश जैन व खुशबू जैन सहित अन्य श्रद्धालुओं ने अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की। इधर, नवादा स्थित जैन मंदिर में भी ग्यारह दिवसीय पर्वराज पर्यूषण सोल्लास सम्पन्न हो गया।

क्षमा कायरता का नहीं, वीरता का परिचायक: दीपक जैन

क्षमावाणी महापर्व के महत्व पर प्रकाश डालते हुये समाजसेवी दीपक जैन ने बताया कि क्षमा सर्वोत्तम धर्म है। बशर्ते क्षमा अंतरात्मा से मांगी जाये एवं की जाये। हृदय में कलुषता रख सिर्फ पर्व के नाम पर एक दूसरे से क्षमा मांगने अथवा क्षमा करने की महज रस्म अदायगी कर पुनः उन गलतियों को दुहराने की प्रेरणा क्षमावाणी महापर्व नहीं देता। जिन प्रत्यक्ष-परोक्ष गलतियों अथवा भूलों के लिए एक दूसरे से क्षमायाचना की जाये, उन गलतियों को पुनः नहीं दुहराना ही क्षमावाणी महापर्व की सार्थकता है। उन्होंने कहा कि क्षमा कायरता का नहीं, बल्कि वीरता का परिचायक है। दीपक जैन ने अंतःकरण से क्षमा रूपी आभूषण को अपने व्यवहारिक जीवन में अंगीकार कर विश्व बंधुत्व की परिकल्पना को साकार करने में अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने का सर्वजनों का आह्वान किया।

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(Udaipur Kiran) / संजय कुमार सुमन

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