– पितृ पक्ष में गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन अशुभ
जबलपुर, 16 सितंबर (Udaipur Kiran) । गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन पुराणों और अन्य धार्मिक ग्रंथों में दिये गये निर्देशों के अनुसार ही किया जाना चाहिए। पितृपक्ष में गणपति की प्रतिमा का विसर्जन नहीं होता। अनंत चतुर्दशी के दिन जब हवन-पूजन हो जाता है तो उसके ठीक बाद प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाना चाहिए। बाद में विसर्जन से अनिष्ट की आशंका होती है। विसर्जन जुलूस में भी सादगी और गरिमा होनी चाहिए।
यह अपील सोमवार को संतों ने आमजन से की गई। उन्होंने शहर के नागरिकों और गणेश उत्सव समितियों से अंनत चतुर्दशी पर ही गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन करने का आग्रह किया है। ज्ञात हो कि कलेक्टर दीपक सक्सेना की पहल पर जिला प्रशासन एवं सन्त जनों ने गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन शास्त्र सम्मत विधि अनुसार एक ही दिन यानी अनंत चतुर्दशी पर ही करने की मुहिम प्रारंभ की है।
महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानन्द गिरी महाराज ने आम जनता और गणेश उत्सव समितियों से आग्रह किया है कि वे एक ही दिन प्रतिमाओं का विसर्जन करें। उन्होंने कहा कि गणेश विसर्जन का विधान अनंत चतुर्दशी के दिन ही है। अनंत चतुर्दशी पर ही विसर्जन करना शास्त्र सम्मत माना गया है, इससे सुख समृद्धि आती है। इसके बाद किसी और दिन विसर्जन करने से अनिष्ट की आशंका होती है।
नगर पंडित सभा के अध्यक्ष आचार्य पं. वासुदेव शास्त्री ने कहा कि 17 सितम्बर को अनंत चतुर्दशी है और इसी दिन गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन होना चाहिए। उन्होंने बताया कि निर्णय सिंधु ग्रंथ में इस बात का उल्लेख है कि अनंत चतुर्दशी के दिन ही विसर्जन का प्रावधान है। भक्तिधाम ग्वारीघाट के स्वामी अशोकानंद ने कहा कि जो विधान है उसी के अनुसार कार्य किये जाने चाहिये। ज्योतिष तीर्थ पं. रोहित दुबे ने कहा कि शास्त्रों के मुताबिक गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन दसवें दिन ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हवन के बाद प्रतिमा रखने का कोई औचित्य नहीं है।
स्वामी चैतन्यानन्द महाराज ने अपनी अपील में कहा कि भगवान गणेश सारे विघ्नों का नाश भी करते हैं तथा सारे विघ्नों को उत्पन्न भी भगवान गणेश ही करते हैं। गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक शक्ति संचय का पर्व है। गणेश पंडालों में पूजन बड़े विधि विधान से होना चाहिये और पितृ पक्ष के पूर्व एक ही दिन अनंत चतुर्दशी को गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन करना चाहिए । ऐसा नहीं करने पर अनिष्ट की आशंका रहती है।
नरसिंह पीठाधीश्वर डॉ स्वामी नरसिंह दास महाराज ने कहा है कि हिन्दू धर्म संस्कृति में वैदिक परंपरानुसार श्रेष्ठ नक्षत्र और विशिष्ट मुहूर्त में देव आराधना और पूजन अर्चन होती है। भगवान श्री गणेश की स्थापना चतुर्थी को और विसर्जन अनंत चतुर्दशी को होता है। वैदिक गणना के मुहुर्त से स्थापना और विसर्जन करने से सकारात्मक परिणाम पूजन करने वाले को मिलता है। इसलिए मुहुर्त और तिथि पर ही कार्य संपादित करना चाहिए। पिछले कुछ सालों से श्राद्ध पक्ष में विसर्जन हो रहा है जो शास्त्र सम्मत नहीं है।
(Udaipur Kiran) तोमर