लखनऊ, 16
सितम्बर (Udaipur Kiran) । रचनात्मकता, कल्पना और नवाचार ऐसी दिव्य शक्तियां हैं, जो हमें महानता
की ओर प्रेरित करती हैं। इस कल्पनाशील शक्ति को पोषित करना प्रगति के लिए आवश्यक है
और इन्हें हमारे शैक्षणिक प्रयासों का आधार बनाना चाहिए। ये बातें पद्मभूषण, कंप्यूटर
वैज्ञानिक डाक्टर विजय पांडुरंग भटकर ने कही। वे लखनऊ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह
में बकौल मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
श्री भटकर ने यह विश्वास साझा
किया कि भारत का भविष्य विश्व के भविष्य से गहराई से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा
कि भारतीय छात्रों के योगदान के बिना महत्वपूर्ण नवाचार और सफलता संभव नहीं होती।
चीन में अपने अनुभवों से उन्होंने देखा कि भारतीय छात्रों की अत्यधिक इज्जत और
मूल्यांकन किया जाता है। उनका दृष्टिकोण एक एकीकृत वैश्विक समुदाय का है, जहाँ हम मिलकर विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति करें।
उन्होंने
कहा कि नई तकनीकें क्षितिज पर हैं और इन उन्नतियों को विश्वविद्यालय और स्कूल की
पाठ्यक्रमों में शामिल करना अनिवार्य है। हम एक ऐसे युग में प्रवेश कर रहे हैं, जहाँ क्वांटम तकनीक,
सुपरकंप्यूटर और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी भविष्य को आकार देंगे। भारत
में विक्रम साराभाई और अन्य प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के योगदान इस आशाजनक भविष्य की
दिशा में मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।
श्री भटकर ने शहर में चल रहे
विकासों, विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी और क्वांटम
प्रौद्योगिकी में, अपनी संतोषजनकता व्यक्त की। उन्होंने
विश्वास व्यक्त किया कि ये नवाचार हमारी अपेक्षाओं से परे जाएंगे और भारत के लिए
एक नया और अद्वितीय युग लाएंगे। उन्होंने
कहा कि भविष्य व्यक्तिगत देशों के बीच प्रतिस्पर्धा द्वारा नहीं, बल्कि देशों के बीच सहयोग
द्वारा परिभाषित होगा। सहयोग का युग हम पर है, और लखनऊ
विश्वविद्यालय इन उन्नतियों को मनाने और साझा करने के लिए समर्पित है। उन्होंने
विशेष रूप से लड़कियों की शिक्षा के महत्व पर बल दिया और छात्राओं द्वारा प्राप्त
पुरस्कारों और उपलब्धियों पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की।
(Udaipur Kiran) / उपेन्द्र नाथ राय