हरिद्वार, 16 सितंबर (Udaipur Kiran) । एसएमजेएन पीजी कॉलेज में एनआईटी भोपाल के सेवानिवृत्त निदेशक एवं समाजसेवी प्रोफेसर डॉ. सदानंद दामोदर सप्रे ने एक संवाद कार्यक्रम के दाैरान कहा कि शिक्षण के माध्यम से ही हर समस्या का समाधान संभव है। उन्हाेंने जाेर देते हुए कहा कि व्यक्तिगत परिवार से ऊपर उठकर वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धान्त पर अच्छे शिक्षण का लाभ सभी काे मिलना चाहिए।
प्राे. सप्रे ने बताया कि शिक्षकों को युवा वर्ग के लिए शोध कार्याें पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और इतिहास की जानकारी युवा पीढ़ी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। उन्हाेंने यह भी कहा कि भारतीय छात्र-छात्राएं इतिहास की सही जानकारी से वंचित हैं, और पिछले 1000 वर्षों को हम केवल गुलामी का काल मानते हैं जबकि यह संघर्ष और वीरता का समय भी था। उन्हाेंने चोल, चालुक्य, अहोम वंश जैसे स्वतन्त्र राजवंशाें का उल्लेख किया, जिन्हाेंने उदार छवि के साथ विदेशाें में राज्य स्थापित किए।
प्रो. सप्रे ने यह भी बताया कि विदेशों में हिन्दुओं के प्रति आदर का भाव है, लेकिन भारतीय विद्वान और वैज्ञानिकों के योगदान को पाठ्य पुस्तकों में उचित स्थान नहीं मिला है। उन्हाेंने उदाहरण देते हुए कहा कि न्यूटन के लॉ का नाम भास्कराचार्य होना चाहिए। अमेरिका जैसा देश भी भारद्वाज संहिता की मदद से विमान विद्या में शाेध कर रहा है और उसने अपनी कई सेटेलाइट्स भारत में लांच की हैं, जाे यहाँ की तकनीकी गुणवत्ता काे प्रमाणित करती है।
उन्होंने नई शिक्षा नीति पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह न कौशल विकास करेगी, बल्कि युवा वर्ग में भी भारतीयता और भारतीय संस्कृति का समवर्धन भी करेगी।
इस अवसर पर काॅलेज के प्राचार्य डॉक्टर सुनील बत्रा ने प्रोफेसर सप्रे को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान किया। कार्यक्रम में डॉ. लता शर्मा, डॉ. आशा शर्मा, डॉ. मोना शर्मा, डॉ. पूर्णिमा सुंदरियाल, डाॅ. पद्मावती तनेजा, डॉ. पुनीता शर्मा, डॉ. मीनाक्षी शर्मा, रिंकल गोयल, रिचा मिनोचा, डॉ. यादवेन्द्र, अकित बंसल, विनित सक्सेना, डॉ. रजनी सिंघल सहित कई अन्य शिक्षाविद् उपस्थित थे।
(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला