नई दिल्ली, 14 सितंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने रोहिणी स्थित आशा किरण आश्रय गृह के कामकाज में गंभीर विसंगतियों, अनियमितताओं, विशेषकर चिकित्सीय लापरवाही पर एक्शन लिया है। गत जुलाई में मानसिक रूप से कमजोर 14 दिव्यांग लोगों की मौत के बाद एलजी को एक रिपोर्ट सौंपी गई।
अब रिपोर्ट के आधार पर एलजी ने आशा किरण आश्रय गृह के प्रशासक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई और जांच में बाधा डालने के लिए चिकित्सा अधिकारी को हटाने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि प्रशासक की लापरवाही से समाज के सबसे असहाय लोगों की ये दुर्भाग्यपूर्ण मौतें हुई हैं। एलजी ने कैदियों की मौत की जांच में बाधा डालने के आरोप में ड्यूटी मेडिकल ऑफिसर डॉ. सुनीता सिंह राठौड़ को भी हटाने का आदेश दिया है। एलजी ने आशा किरण आश्रय गृह में रहने वालों की दुखद मौत के बाद ऐसी सभी सुविधाओं को बहाल करने और नवीनीकरण पर एक श्वेत पत्र मांगा था। मुख्य सचिव को इसकी प्रगति की समीक्षा करने का निर्देश दिया गया है।
एलजी ने जांच रिपोर्ट में सामने आए इस तथ्य पर कड़ा रुख अपनाया है कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने 19 जुलाई, 2024 की एक रिपोर्ट में बताया था कि कुपोषण और लापरवाही के कारण गैस्ट्रोएंटेराइटिस और टीबी के मामलों में वृद्धि हुई है। इसके अलावा, सीएमओ की रिपोर्ट में खराब स्वच्छता, साफ-सफाई की स्थिति और कल्याण अधिकारी के साथ-साथ अधीक्षक द्वारा निगरानी की कमी को भी उजागर किया गया है।
रिपोर्ट यह भी बताती है कि प्रशासक ने कई चेतावनियों के बावजूद कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया। एलजी ने कहा कि यह समझ से परे है कि संचारी रोग फैलने की स्थिति में, इसके प्रसार को रोकने के लिए कैदियों को अलग-थलग क्यों नहीं किया गया। यह भी सामने आया है कि अत्यधिक भीड़भाड़ है और कैदियों की संख्या सुविधा की क्षमता से कहीं अधिक है, जिसके परिणामस्वरूप कैदियों के लिए अमानवीय स्थिति पैदा हो गई है।
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(Udaipur Kiran) / कुमार अश्वनी