धर्मशाला, 11 सितंबर (Udaipur Kiran) । तिब्बती महिला संघ (टीडब्ल्यूए) ने अपनी स्थापना की 40वीं वर्षगांठ मैकलोड़गंज स्थित तिब्बत इंस्टीच्यूट आफ परफाॅर्मिंग आर्टस टिपा में मनाई। इस मौके पर निर्वासित तिब्बती सरकार के सिक्योंग पेंपा सेरिंग बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे। इनके अलावा कार्यक्रम में निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्य, कसूर रिनचेन खांडो, तिब्बती सेटलमेंट अधिकारी कुंचोक मिग्मार तथा पूर्व और वर्तमान कार्यकारी सदस्य और अन्य तिब्बती संगठनों के प्रतिनिधियों सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सिक्योंग पेंपा सेरिंग ने चुनौतियों के बावजूद टीडब्ल्यूए की दृढ़ता को लेकर कहा कि “हर संगठन को चुनौतीपूर्ण शुरुआत का सामना करना पड़ता है। हालांकि, दृढ़ प्रतिबद्धता और प्रभावी प्रतिनिधित्व के माध्यम से तिब्बती महिला संघ ने अपने संस्थापक सदस्यों से लेकर वर्तमान तक उल्लेखनीय दृढ़ता का प्रदर्शन किया है। सिक्योंग ने तिब्बती महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए संघ में अधिक महिलाओं को शामिल करने की अनिवार्यता पर जोर दिया। तिब्बती स्वतंत्रता संग्राम के बारे में सिक्योंग ने 16वें कशाग की मध्यम मार्ग दृष्टिकोण के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए इसकी गति को बनाए रखने में एकता के महत्व पर जोर दिया।
वहीं टीडब्ल्यूए की संस्थापक सदस्य और वर्तमान में सलाहकार कसूर रिनचेन खांडो ने तिब्बतियों के ऐतिहासिक संघर्षों के बारे में बात की। उन्होंने अनगिनत तिब्बती महिला शहीदों सहित तिब्बतियों द्वारा किए गए बलिदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि तिब्बती लोग भले ही व्यापक दुनिया से अच्छी तरह परिचित न हों, लेकिन अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए उनकी प्रतिबद्धता अटल थी। उन्होंने बहुत बड़ा बलिदान दिया, जिसमें एक हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई और कई लोगों ने अपने संघर्ष में आत्मदाह का विकल्प चुना। साहस और बलिदान के ऐसे कार्यों को हमेशा याद रखना चाहिए और इस तरह के आयोजनों के जरिए हमारे दिलों और दिमागों में उनका सम्मान होना चाहिए।
परम पावन दलाई लामा के मार्गदर्शन पर अपनी बात रखते हुए रिनचेन खांडो ने कहा कि तिब्बती महिला संघ की स्थापना लगभग 18 से 19 महिलाओं के प्रयासों से हुई थी। परम पावन ने विशेष रूप से इस पहल में तिब्बत के सभी तीन पारंपरिक प्रांतों के प्रतिनिधियों को शामिल करने के महत्व पर जोर दिया। तिब्बत की महिलाओं का प्रतिनिधित्व करते हुए हम न्याय के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं और कई और महिलाओं को हमारे साथ जुड़ने के लिए कह रहे हैं, ताकि तिब्बती महिला संघ के मिशन को जारी रखा जा सके।
इससे पूर्व समारोह के दौरान टीडब्ल्यूए की अध्यक्ष सेरिंग डोलमा ने संगठन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि तिब्बती महिला संघ का आधिकारिक रूप से गठन 10 सितंबर 1984 को भारत में रिनचेन खांडो चोग्याल द्वारा किया गया था, जो तिब्बती युवा कांग्रेस के एक पूर्व कार्यकर्ता थे। 1980 के दशक में जब भारत में निर्वासित समुदाय ने महिलाओं को राजनीति में भाग लेने की अनुमति दी, तब तिब्बती महिलाओं का एक संघ आधिकारिक रूप से बना।
(Udaipur Kiran) / सतिंदर धलारिया