शिमला, 10 सितंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट का सामना कर रही सुक्खू सरकार ने राज्य के लाखों बिजली उपभोक्ताओं को बड़ा झटका दिया है। इस संबंध में विधानसभा ने मंगलवार को मानसून सत्र की आखिरी बैठक में हिमाचल प्रदेश विद्युत (शुल्क) विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया। अब बिजली उपभोक्ताओं पर दूध उपकर और पर्यावरण उपकर लगेगा। इसका असर प्रदेश के सभी वर्गों के बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार पहले की व्यवस्था में बदलाव लाने की कोशिश कर रही है, जहां कई मुफ्त चीजें दी जाती थीं। अब सरकार आम आदमी पर बोझ डाले बिना राजस्व बढ़ाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादकों की आर्थिकी को मजबूत करने और किसानों के उत्थान के लिए बिजली पर दूध उपकर लगाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वहीं, पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने और स्वच्छ पर्यावरण सुनिश्चित करने के लिए उद्योगों पर पर्यावरण उपकर लगाया गया है। उन्होंने कहा कि इन दोनों उपकरों को लगाने से एकत्र की गई राशि को इन निर्दिष्ट उद्देश्यों के लिए उपयोग करने के लिए बिजली विभाग के पास जमा किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले शराब पर लगाए गए दूध उपकर से 130 करोड़ रुपये कमाए हैं। शराब की बोतल पर 10 रुपये का दूध उपकर लगाया जा रहा था, लेकिन अब बिजली खपत पर उपकर लगाया गया है।
उन्होने कहा कि यह बहुत मामूली पर्यावरण उपकर है, जिसका किसी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि छोटी औद्योगिक इकाइयों के लिए दो पैसे, मध्यम के लिए चार पैसे, बड़ी औद्योगिक इकाइयों पर 10 पैसे, स्टोन क्रशर के लिए दो रुपये और इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने पर छह रुपये उपकर के रूप में लिए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की वित्तीय सेहत सुधारने के लिए यह वृद्धि किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 2032 तक हिमाचल को देश का सबसे समृद्ध राज्य बनाने के प्रयास किए जाएंगे। हम वनों की सुरक्षा के लिए ग्रीन बोनस की मांग करेंगे, लेकिन हमें हर साल अक्टूबर से मार्च तक सात रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा