Uttar Pradesh

विद्युत उपभोक्ता परिषद ने हर माह ईधन अधिभार शुल्क की गणना के फार्मूले पर उठाया सवाल

अवधेश कुमार वर्मा

लखनऊ, 10 सितम्बर (Udaipur Kiran) । विद्युत नियामक आयोग

की 26वें स्थापना दिवस पर उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने विद्युत

नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य से की मुलाकात की। इसके साथ ही ईंधन अधिभार शुल्क पर बन रहे कानून का विरोध करते हुए संशोधन की मांग

उठाई।

मंगलवार को नियामक आयोग में पहुंचकर उपभोक्ता

परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने हर महीने ईंधन अधिभार

शुल्क की गणना के फॉर्मूले पर सवाल उठाया। उसमें कुछ नया

क्लाज जोड़ने की मांग उठाई। उन्होंने कहा

कि उपभोक्ताओं के सरप्लस की दशा में ईंधन अधिभार शुल्क की

राशि को उसमें से घटाया जाए।

नियामक आयोग के स्थापना दिवस पर

उपभोक्ता परिषद ने आयोग से अपने पुराने संघर्षों की कहानी साझा की। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार

समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन अरविंद कुमार

व नियामक आयोग के सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात की।

प्रदेश के 3 करोड़ 45 लाख विद्युत

उपभोक्ताओं की तरफ से उनका आभार व्यक्त किया और भारत के संविधान की प्रति सौंपी। इसके साथ ही उन्हें बधाई दी।

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा विद्युत नियामक

आयोग प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के हितों में उनका संरक्षण करने के लिए 10 सितंबर 1998 में गठित किया गया था, जो विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के तहत

उपभोक्ताओं की सेवा व उनके हितों में समय-समय पर नियम विनियम बनाता है। निश्चित तौर पर इन 26 वर्षों में प्रदेश के विद्युत

उपभोक्ताओं के हितों में विद्युत नियामक आयोग ने अनगिनत हजारों फैसले किये और प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को बहुत लाभ भी मिला अपेक्षा

है कि आगे भी विद्युत नियामक आयोग उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए हमेशा

तत्पर रहेगा।

अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग द्वारा प्रस्तावित नए कानून में यह भी नया क्लास जोड़ा जाए कि बिजली कंपनियों का फ्यूल सरचार्ज के मद में जो राशि निकलेगी, उसे अनिवार्य रूप से उपभोक्ताओं के पहले से निकले सरप्लस राशि से घटाया

जाएगा। यदि किसी भी स्थिति में बिजली कंपनियों का सरप्लस

निकलेगा, तभी उन्हें आयोग ईंधन अधिभार शुल्क वसूलने की इजाजत

देगा।

उपभोक्ता परिषद ने अपने

प्रस्ताव में यह भी कहा कि यह कानून जिस प्रकार से प्रस्तावित है। यदि इस प्रकार से लागू कर दिया गया तो उपभोक्ताओं के लिए काला कानून साबित होगा। इसलिए उसमें अनिवार्य

रूप से या संशोधन भी किया जाए बिना आयोग की अनुमति के बिजली कंपनियां स्वत वसूली

कर ले ऐसा नहीं होगा। इसके साथ ही उपभोक्ता परिषद ने कहा

वर्तमान में जो फार्मूला प्रस्तावित किया गया है। उस

फार्मूले से कभी प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को लाभ तो नहीं मिलेगा।

(Udaipur Kiran) / उपेन्द्र नाथ राय

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