Uttar Pradesh

सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण से रुकेगा यौन उत्पीड़न : प्रो. बृजभूषण

सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण से रुकेगा यौन उत्पीड़न :प्रो. बृजभूषण

— आईआईटी कानपुर में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न अधिनियम पर आयोजित हुई संगोष्ठी

कानपुर, 30 अगस्त (Udaipur Kiran) । दस से अधिक कार्य करने वाले लोगों के बीच किसी भी संस्थान में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 लागू होता है। इसमें कई तरह के प्रावधान हैं, जैसे तैराकी कोच छात्रा को तैराकी सिखाने के लिए स्पर्श करता है तो उस पर यह अधिनियम नहीं लागू होगा, हां यही कार्य अगर बाहर कोच करता है और छात्रा अपने को असहज महसूस करती तो अधिनियम लागू होगा। ऐसे में यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए संस्थान में सुरक्षित और सम्मानजक वातावरण बनाना होगा। यह बातें शुक्रवार को कानपुर आईआईटी में यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 की संगोष्ठी में प्रो. बृजभूषण ने कही।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर ने कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 पर शुक्रवार काे एक संगोष्ठी आयोजित की। संस्थान के लीगल सेल और जेन्डर सेल के बीच इस सहयोगात्मक प्रयास का नेतृत्व उप रजिस्ट्रार (लीगल) प्रकल्प शर्मा ने किया। इसके साथ ही आईआईटी के उप निदेशक प्रो. ब्रजभूषण और रजिस्ट्रार विश्व रंजन ने सहयोग किया। प्रो. ब्रजभूषण और विश्व रंजन ने सेमिनार का उद्घाटन किया, जिसमें उन्होंने परिसर में यौन उत्पीड़न के मुद्दों से निपटने की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर दिया और सभी कर्मचारियों और छात्रों के लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण बनाने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। प्रतिष्ठित अधिवक्ता और श्रम एवं औद्योगिक कानूनों के विशेषज्ञ आलोक भसीन ने मुख्य भाषण दिया, जिसमें कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013 का विस्तृत विवरण दिया गया। इसके साथ ही अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों, नियोक्ताओं के कानूनी दायित्वों और शिकायतों को संबोधित करने और उनका निवारण करने की प्रक्रियाओं का विवरण दिया गया। उनके व्यावहारिक और आकर्षक भाषण ने अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन और सुरक्षित कार्य वातावरण को बढ़ावा देने पर बहुमूल्य मार्गदर्शन प्रदान किया।

सेमिनार में एक इंटरैक्टिव प्रश्नोत्तर सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें उपस्थित लोगों ने प्रश्न पूछे और अधिनियम से संबंधित विशिष्ट बिंदुओं पर चर्चा की, जिससे महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुली बातचीत को बढ़ावा मिला। सेमिनार का समापन जागरुकता बढ़ाने और प्रभावी उपायों को लागू करने पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने के साथ हुआ।

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(Udaipur Kiran) / अजय सिंह

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