जयपुर, 30 अगस्त (Udaipur Kiran) । सीकर जिले के रैवासा धाम के पीठाधीश्वर महंत राघवाचार्य का शुक्रवार सुबह निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार शनिवार सुबह नाै बजे रैवासा में ही किया जाएगा। पीठाधीश्वर को आज सुबह बाथरूम में दिल का दौरा पड़ा था। उन्हें तुरंत ही सीकर हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। वे वेदांत विषय में गोल्ड मेडलिस्ट थे। वे राजस्थान संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष भी रहे। राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने उनके निधन पर संवेदना प्रकट की है।
उन्होंने राजस्थान में वेदाश्रमों की भी स्थापना की। रैवास वेद विद्यालय में वेदों की शिक्षा लेने वाले स्टूडेंट इंडियन आर्मी से लेकर कई बड़े संस्थानों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। महंत के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने उनकी वसीयत भी पढ़कर सुनाई। महंत राघवाचार्य ने वृंदावन के संत राजेंद्रदास देवाचार्य को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया है। इसी रैवासा धाम में गोस्वामी तुलसीदास ने काव्य रचना की थी। डॉ. स्वामी राघवाचार्य ने 30 नवंबर 2015 को अपनी वसीयत लिखी थी। इस वसीयत को राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने रैवासा गांव के सरपंच रामदयाल सैनी की मौजूदगी में मंदिर परिसर में संतों को पढ़कर सुनाई। वसीयत के अनुसार महंत ने राजेंद्रदास देवाचार्य मलूक पीठाधीश्वर, बंसीवट, वृंदावन धाम को रैवासा धाम के पीठाधीश के रूप में अपना उत्तराधिकारी घोषित कर रखा है। राघवाचार्य को अयोध्या में राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने का निमंत्रण भी मिला था। तब उन्होंने भक्ताें काे बताया था कि वे 1984 से इस आंदोलन से जुड़े थे। स्वास्थ्य खराब रहने का एक कारण, वह आंदोलन भी रहा। वहां एक दिन में 10 से ज्यादा सभा करनी पड़ती थी। सभा के दौरान कई बार तो आवाज तक बंद हो जाती थी।
विधायक बालमुकंदाचार्य ने बताया कि महंत की अंतिम यात्रा और अंतिम संस्कार शनिवार को होगा। जानकीनाथ बड़ा मंदिर से रैवासा गांव में सुबह सात बजे से अंतिम यात्रा निकाली जाएगी। यात्रा मंदिर की गौशाला में सुबह करीब नाै बजे पहुंचेगी जहां पीठाधीश्वर की पार्थिव देह रखी जाएगी और पूजा-अर्चना की जाएगी। इसके बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने एक्स पर उन्हें श्रंदाजलि अर्पित की। उन्हाेंने लिखा कि रैवासा पीठाधीश्वर पूज्य संत 1008 राघवाचार्य महाराज के देवलोकगमन का दुखद समाचार मिला। आज वे हमारे बीच नहीं है, यह सोचकर ही मन बहुत व्यथित है। उनका जाना सनातन धर्म के लिए एक अपूरणीय क्षति है। श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए चले आंदोलन से उनका गहरा जुड़ाव रहा। इस निमित्त वे जेल भी गए। संस्कृत भाषा और वेद-वेदांग के वे उच्च कोटि के विद्वान थे। धर्म-अध्यात्म के साथ-साथ समाज हित से जुड़े कार्यों के लिए आजीवन समर्पित रहे। आध्यात्मिक मूल्यों के जागरण और सांस्कृतिक शिक्षा के क्षेत्र में उनका अमूल्य योगदान रहा। महाराज का त्याग, तपस्या और धर्म के प्रति समर्पण सदैव हम सबके लिए प्रेरणास्त्रोत रहेगा। मैं शोक की इस घड़ी में ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि पुण्यात्मा को अपने धाम में स्थान दें। उनके अनुयायियों को संबल प्रदान करें।
रैवासा धाम पीठाधीश्वर संत राघवाचार्य महाराज के ब्रह्मलीन होने पर राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने भी शोक संवेदना व्यक्त की। उन्हाेंने लिखा कि रैवासा धाम के पीठाधीश्वर संत राघवाचार्य महाराज के ब्रह्मलीन होने पर गहरा शोक है। बागडे ने कहा कि वेद वांग्मय और संस्कृत के साथ सनातन भारतीय संस्कृति के प्रसार के लिए उनका योगदान सदा याद किया जाता रहेगा। उनका देवलोक गमन अपूरणीय क्षति है। उन्होंने ईश्वर से उन्हें अपने परम धाम में स्थान देने और अनुयायियों को यह भारी दुख सहन करने की शक्ति देने की कामना की है।
—————
(Udaipur Kiran) / रोहित