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नदी के बाढ़ क्षेत्र में किसानों के जमीन बिक्री पर डीएम की पाबंदी गलत : हाईकोर्ट

Allaabad High Court

प्रयागराज, 23 अगस्त (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि सम्पत्ति की खरीद फरोख्त का अधिकार मूल अधिकार नहीं है। किन्तु यह अनुच्छेद 300ए के अंतर्गत एक संवैधानिक अधिकार है। इस अधिकार पर युक्तियुक्त प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

कोर्ट ने कहा कि जिलाधिकारी को किसानों को अपनी कृषि भूमि बेचने व खरीदने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने के लिए आदेश देने का अधिकार नहीं है और आदेश 30 सितम्बर 20, कार्यालय ज्ञाप 1 अक्टूबर 20 व शासनादेश 8 जुलाई 24 को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने गौतमबुद्धनगर के किसान सुरेश चंद व अन्य सहित 11 याचिकाओ की एक साथ सुनवाई करते हुए दिया है।

कोर्ट ने कहा डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट जिलाधिकारी को ऐसी शक्ति नहीं देता कि बाढ़ क्षेत्र में बिल्डर के निर्माण पर आपत्ति न हो और किसान को कृषि भूमि बेचने के लिए विभाग से अनापत्ति लेने को कहा जाए।

कोर्ट ने कहा सम्पत्ति के अधिकार में भवन निर्माण का अधिकार शामिल हैं। यह मानवाधिकार व विकास का अधिकार हैं। साथ ही सम्पत्ति का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत जीवन का भी अधिकार है। कानून जिलाधिकारी को कृषि जमीन बेचने पर रोक लगाने या शर्त थोपने का अधिकार नहीं देता। इसलिए हिंडन व यमुना नदी के बाढ़ एरिया में किसानों को कृषि भूमि खरीदने व बेचने पर अवरोध लगाना विभेदकारी व मनमाना है।

सरकार की तरफ से यह तर्क कि रोक नहीं केवल अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने को कहा गया है, उसको सही नहीं माना और कहा कि किसी कानून में जिलाधिकारी को ऐसा अधिकार नहीं मिला है। कोर्ट ने कहा बिना अधिकारियों की मिलीभगत के कोई अवैध निर्माण नहीं हो सकता। प्राधिकरण ने बाढ़ क्षेत्र में अवैध निर्माण होने देने वाले अधिकारियों पर कभी कोई कार्रवाई नहीं की और किसानों के अपनी कृषि भूमि बेचने खरीदने से रोक रहे हैं।

कोर्ट ने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा यह समझ से परे है कि अधिकारियों के रहते अवैध निर्माण कैसे हो रहा है। और किसानों को अनापत्ति लेने के लिए कहा जा रहा। यह सिस्टम के साथ मजाक है। अधिकारी अपनी ग़लती ढकने के लिए शर्तें नहीं थोप सकते। भविष्य में मानव जीवन बचाने के लिए युक्तियुक्त प्रतिबंध लगाया जा सकता है और चेक करें कि अवैध निर्माण न होने पाये।

मालूम हो कि विकास प्राधिकरण ने निर्णय लिया कि नोएडा व ग्रेटर नोएडा में हिंडन व यमुना नदी बाढ़ क्षेत्र में जमीन की खरीद फरोख्त के लिए अनापत्ति लेनी होंगी। याचियों ने बिना अनुमति लिए कृषि भूमि बेची। जिस पर कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। कहा गया कि हम जमीन के स्वामी और कब्जेदार है। उन्हें अपनी जरूरत के लिए अपनी मर्जी से जमीन बेचने का अधिकार है।

कोर्ट ने तमाम फैसलों व कानूनी पहलुओं पर विचार करते हुए जिलाधिकारी के अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने की अनिवार्यता को रद्द कर दिया है और कहा है कि खरीद फरोख्त के अधिकार पर मनमानी रोक अनुच्छेद 300ए का उल्लंघन है। प्रत्येक नागरिक को जमीन की खरीद फरोख्त का कानूनी अधिकार है। केवल उचित व वैध कारण से ही इस अधिकार पर अवरोध लगाया जा सकता है, अन्यथा नहीं।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे / विद्याकांत मिश्र

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