जयपुर, 23 अगस्त (Udaipur Kiran) । जन्माष्टमी पर्व छब्बीस अगस्त को मनाया जाएगा। इस अवसर पर जयपुर शहर के मंदिरों में कई आयोजन होंगे। शहर के मंदिराें में जन्माष्टमी उत्सव को भव्य बनाने के लिए ठाकुरजी की पोशाक से लेकर आभूषण तक तैयार कर लिए हैं। वहीं दूसरी ओर राजधानी जयपुर के परकोटा स्थित किशनपोल बाजार, त्रिपोलिया बाजार, पुरोहित जी कटला, नाहरगढ़ रोड, मानसरोवर, टोंक रोड पर रंग-बिरंगी और अलग-अलग डिजाइन की लड्डू गोपाल की पोशाक, मोरपंख मुकुट, वेलवेट का आसन सहित अन्य सामानों से बाजार सजकर तैयार हो चुका है।
घरों में छोटे बच्चों को कान्हा का रूप धारण करवाने के लिए बाजार में दुकानदारों ने वृंदावन से कान्हा ड्रेस मंगवाई है। ड्रेस में कुर्ता, धोती, मुकुट, बाजूबंद, बांसुरी और मोरपंख का पूरा सेट उपलब्ध है। जड़ी और वेलवेट के मिश्रण से निर्मित सेट की कीमत 600 रुपये तक है। हालांकि कीमतों में इस बार बीते साल से कुछ प्रतिशत तक की मामूली बढ़त देखी जा सकती है। दिल्ली, मुंबई, सूरत और अहमदाबाद से जन्माष्टमी के मौके पर दुकानदारों ने माल मंगाया है।
जन्माष्टमी पर कान्हा को सजाने के लिए महिलाएं तरह-तरह की पोशाक खरीद रही हैं। मोरपंख मुकुट 80 से लेकर 150 रुपये, आसन 50 से लेकर 200 रुपये, बड़ा मोरपंख 30 से 50 रुपये, वेलवेट का आसन 100 से 250 रुपये, स्टील का झूला 100 से लेकर 400 रुपये, मैटेलिक झूला 150 लेकर 500 रुपये, गद्दा का सेट आसन, रूमाल, दो मसलंद 600 रुपये, बांसुरी 40 से लेकर 300 रुपये, लड्डू गोपाल मच्छरदानी 100 से लेकर 300 रुपये तक उपलब्ध है।
लड्डू गोपाल की पोशाक नाप से हो रहीं तैयार
लड्डू गोपाल की पोशाक बाकायदा नाप से सिली जा रही हैं। मालवीय नगर के हितेश गेरा ने बताया कि कई लोग रंग-बिरंगी व शनिल तथा रेशमी की मनपसंद पोशाक के लिए ऑर्डर कर रहे हैं। अभी तक 500 से ज्यादा ऑर्डर आ चुके हैं। इनमें 7 इंच से 2 फीट की पोशाकों की डिमांड ज्यादा है।
सूरत, मथुरा व मुम्बई के मुकुट लोग खूब कर रहे है पसंद
ठाकुरजी के फ्लोवर, जड़ाऊ, पगड़ी, सूरत, मथुरा व मुम्बई के मुकुट लोग खूब पसंद कर रहे हैं। ज्वैलरी, कंगन, पायल, झूमके, मोती माला, बाल, तिलक, बिंदी की डिमांड ज्यादा है। प्राकृतिक इत्र में गुलाब, मोगरा, चंदन, बगीचा, वृंदावन, श्याम दरबार, बेला, मुरलीधर, खसखस है। यह इत्र चालीस से एक हजार रुपये तक बाजार में हैं। लोगों की मांग रहती है कि इत्र व सेंट बनाने में प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल ज्यादा हो ताकि शुद्धता की गारंटी मिले।
कई तरह के झूले व पालने भी बाजार में बिकने का तैयार
ठाकुरजी के लिए कई तरह के झूले व पालने भी बाजार में बिकने लगे हैं। पालने छोटे व धातु के बनाए जा रहे हैं, जबकि झूले लकड़ी व कपड़े के तैयार किए जा रहे हैं। बाजार में चार सौ से पांच हजार रुपए तक के पालने व झूले उपलब्ध हैं। जयपुर में मीनाकारी के पालने, राजकोट गुजरात के डिजाइनर झूले तथा मोरपंखी झूले व लकड़ी के झूलों की डिमांड ज्यादा है।
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(Udaipur Kiran) / संदीप