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‘दिल्ली में सात सेक्टरों में सुधार कर जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव को कम करेगी केजरीवाल सरकार’

नई दिल्ली, 21 अगस्त (Udaipur Kiran) । दिल्ली में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए दिल्ली सरकार फोकस तरीके से काम करेगी। इसके लिए सरकार ने सात महत्वपूर्ण सेक्टरों बिजली, पानी, कूड़ा, हरित, परिवहन, स्वास्थ्य व कृषि प्रबंधन को चिंहित किया है। इसमें सुधार कर जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव को कम किया जाएगा। बुधवार को दिल्ली सचिवालय में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय की अध्यक्षता में आयोजित राउंड टेबल कांफ्रेंस में 40 से अधिक विभागों व संस्थानों के विशेषज्ञों ने नई पॉलिसी में आए प्रस्तावों पर चर्चा की।

मंत्री मगोपाल राय ने कहा कि 2019 में दिल्ली सरकार ने क्लाइमेट चेंज पॉलिसी बनाई थी, लेकिन अब जलवायु परिवर्तन का प्रभाव और तेज़ी से बढ़ रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण इस बार दिल्ली के लोगों भीषण गर्मी और रिकॉर्ड बारिश का सामना करना पड़ा है। इसलिए पॉलिसी में बदलाव करना आवश्यक है। इन सात सेक्टरों में सुधार करके जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। दिल्ली सरकार इन्हीं सेक्टरों को ध्यान में रखकर एक वृहद पॉलिसी बनाएगी और केंद्र सरकार को भेजेगी। केंद्र से मिले सुझावों के बाद पॉलिसी को लागू किया जाएगा।

मंत्री राय ने कहा कि आज दिल्ली समेत पूरे भारत में विकास की अंधी दौड़ में जिस तरह प्रकृति के साथ छेड़छाड़ हुई है, उससे पूरी दुनिया में जो जलवायु परिवर्तन हुआ है और अब लोगों के जीवन पर उसका सीधा प्रभाव पड़ने लगा है। इस साल दिल्ली के लोगों को हीट वेव का प्रकोप झेलना पड़ा। इसके अलावा मानसून की बारिश ने पिछले कई सालों के रिकॉर्ड तोड़ दिए। इसी तरह हम वायु प्रदूषण से भी जूझ रहे हैं और उसे लगातार कम करने के लिए काम कर रहे हैं। आज पूरी दुनिया में क्लाइमेट चेंज के ऊपर पॉलिसी बनाई जा रही है। ताकि जलवायु परिवर्तन के घटकों का पता लगाकर उस पर नियंत्रण पाया जा सके। भारत सरकार ने भी इस पर चिंतन करते हुए पॉलिसी बनाने पर काम किया है।

उन्हाेंने कहा कि दिल्ली में भी 2019 में क्लाइमेट चेंज को लेकर पॉलिसी का निर्माण किया गया था। लेकिन 2019 के बाद जिस तेजी के साथ जलवायु में परिवर्तन हो रहा है, उसे देखते हुए दिल्ली सरकार ने दो साल पहले क्लाइमेट चेंज की पॉलिसी को रिवाइज करने की प्रक्रिया शुरू की। इसको लेकर अलग-अलग विभागों और स्टेक होल्डर्स के बीच कोर ग्रुप बनाया गया, जिसके तहत कई बैठकें हुईं। कोर ग्रुप के प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में स्टीयरिंग कमेटी बनाई गई थी। उस कमेटी ने दिल्ली में जलवायु परिवर्तन के लिए एक ड्राफ्ट पॉलिसी प्रस्तावित की।

आज उस ड्राफ्ट पॉलिसी पर अलग-अलग विभागों, संस्थानों और विशेषज्ञों के साथ राउंड टेबल एनवायरनमेंटल कॉन्फ्रेंस का अयोजन किया गया था, जिसमें करीब 40 अलग-अलग विभागों, संस्थाओं और विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। भारत सरकार जर्मन तकनीकी सहयोग समूह (जीआईजेड) के साथ मिलकर पूरे देश में यह पॉलिसी बनाने का काम कर रही है। दिल्ली के लिए यह ड्राफ्ट तैयार करने में इस समूह ने हमें सहयोग किया। इन 40 संस्थाओं में आईआईटी दिल्ली, जीजीआईपीयू, टेक्निकल एनर्जी एंड रिसर्च टेरी के साथ साथ दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों ने हिस्सा लिया।

मंत्री गोपाल राय ने कहा कि अलग-अलग सेक्टर में जो जलवायु परिवर्तन हो रहा है, उनके स्रोतों को चिंहित करना और एक वृहद पॉलिसी के लिए प्रस्ताव आया है। इसको दिल्ली सरकार केंद्र सरकार को भेज रही है। केंद्र सरकार से जो भी सुझाव आएगा, उसके अनुसार पॉलिसी का डिटेल एक्शन प्लान बनाया जाएगा। ताकि पॉलिस को दिल्ली के अंदर प्रैक्टिल तौर पर लागू किया जा सके। पॉलिसी को लेकर विशेषज्ञों ने अपनी राय भी दी है। इन सुझावों को भी इसमें शामिल किया जाएगा और जल्द ही इसे केंद्र सरकार को भेज दिया जाएगा।

उन्हाेंने कहा कि हमने दिल्ली में जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार सात सेक्टर को चिंहित किया है। पहला, एनर्जी है। दिल्ली में एनर्जी की बहुत ज्यादा खपत है। एनर्जी की खपत का दिल्ली के जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव पड़ रहा है। इससे बचने के लिए दिल्ली सरकार सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने पर काम कर रही है, ताकि अधिक से अधिक लोग प्राकृति ऊर्जा की खपत कर सके। इससे हम दिल्ली में जलवायु परिवर्तन को कम कर सकते हैं। दूसरा कूड़ा प्रबंधन हैं। इस पॉलिसी में कूड़ा प्रबंधन पर फोकस करने की बात कही गई है, ताकि कूड़े से बनने वाली गैस से होने वाले जलवायु परिवर्तन से बचा जा सके। मसलन, कूड़े का पहाड़ है। कू़ड़े के पहाड़े से लगातार निकलने वाली गैस वातावरण को प्रभावित कर रही हैं। सरकार कूड़ा प्रबंधन पर फोकस करेगी ताकि पूरी दिल्ली में कूड़े का 100 फीसद निस्तारण हो सके। तीसरा, पानी का प्रबंधन है। पानी से जो प्रभाव पड़ रहा है, उस पर फोकस करेंगे।

उन्होंने कहा कि चौथा वन क्षेत्र है। दिल्ली में सरकार ग्रीन बेल्ट को बढ़ाने पर लगातार फोकस कर रही है। साउथ ईस्ट और नॉर्थ ईस्ट में जलवायु पर ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है। जिन जगहों पर ग्रीन बेल्ट कम है, वहां पर हम एक टारगेट तरीके से ग्रीन बेल्ट बढ़ाएंगे। छठां परिवहन क्षेत्र है। हमारा टारगेट है कि दिल्ली की परिवहन में 100 फीसद इलेक्ट्रिक वाहनों की फ्लीट शामिल करने का है। सरकार लगातार ईवी फ्लीट को बढ़ा भी रही है। अब तक करीब 2 हजार इलेक्ट्रिक फ्लीट आ चुकी हैं।

दिल्ली सरकार के संशोधित एसएपीसीसी रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए 2030 तक के लिए उपयुक्त क्रियान्वयन रणनीति के साथ अनुकूलन उपाय शामिल हैं। इस बैठक में निम्नलिखित क्षेत्रों में प्रमुख शमन और अनुकूलन उपायों पर चर्चा हुई-

1- ऊर्जा और बिजली

2- शहरी योजना

3- जल क्षेत्र

4- वन और जैव विविधता

5- परिवहन

6- कृषि और बागवानी

7- स्वास्थ्य

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(Udaipur Kiran) / कुमार अश्वनी / रामानुज

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