RAJASTHAN

सरिस्का में होटल-रिसॉर्ट हटने की बातें पूरी तरह निराधार

सरिस्का में होटल-रिसॉर्ट हटने की बातें पूरी तरह निराधार

जयपुर, 31 जुलाई (Udaipur Kiran) । ‘पर्यटन और वन राजस्थान की जीवन रेखा है। पर्यटन व्यवसाय को राजस्थान में उद्योग का दर्जा दिया गया है लेकिन यह बात काबिल-ए-गौर है कि वाइल्ड लाइफ टुरिज्म से 20-25 फीसदी राजस्व प्राप्त होता है। दुनियाभर से टुरिस्ट को राजस्थान बुलाने के लिए होटल्स और रिसॉर्ट का होना बेहद जरूरी है। सरिस्का, रणथंभौर व अन्य वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के निकट बने होटल्स को हटाए जाने की भ्रामक बातों से पर्यटकों और होटल व्यवसायियों में भय पैदा हो रहा है जिससे राजस्थान की ओर बढ़ते पर्यटकों के कदम रुकने लगे हैं। इससे न केवल प्रदेश को आर्थिक नुकसान हो रहा है बल्कि राज्य की छवि भी खराब हो रही है। पर्यटकों की आवाजाही बाघों के संरक्षण के लिए पर्यटक बेहद जरूरी है क्योंकि पर्यटन और संरक्षण साथ-साथ चलते है।

होटल एवं रेस्टोरेंट एसोसिएशन सरिस्का, अलवर तथा होटल एसोसिएशन टहला, सरिस्का की ओर से बुधवार को विशेषज्ञों ने यह बात कही। इस दौरान होटल एसोसिएशन टहला, सरिस्का के अध्यक्ष गजेन्द्र सिंह पंवार, कल्चर एंबेसडर तृप्ति पांडे, एडवोकेट डॉ. भगवान सिंह नाथावत, फील्ड डायरेक्टर मनोज पाराशर, रणथंभौर और सरिस्का सेंचुरी के फिल्ड डायरेक्टर रहे रघुवीर सिंह शेखावत, फेडरेशन ऑफ हॉस्पिटैलिटी एंड टूरिज्म ऑफ राजस्थान (एफएचटीआर) के अध्यक्ष कुलदीप सिंह चंदेला, एफएचटीआर के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट सुरेन्द्र सिंह शाहपुरा व बड़ी संख्या में सरिस्का, अलवर और टहला के होटल व्यवसायी मौजूद रहे। गजेन्द्र सिंह पंवार ने सरिस्का सेंचुरी के निकट बने होटल्स को ध्वस्त करने की भ्रामक खबरों का खंडन करते हुए कहा कि होटल्स को हटाने की बात निराधार है। पर्यटकों और व्यवसायियों को घबराने की जरूरत नहीं है। सरकार की ओर से सभी सेंचुरी का मास्टर प्लान बनाने की योजना है लेकिन इससे वहां मौजूद होटल्स को किसी तरह का खतरा नहीं है।

एडवोकेट डॉ. भगवान सिंह नाथावत ने सुप्रीम कोर्ट व अन्य राज्यों की हाईकोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए बताया कि प्रदेश सरकार की ओर से अभी तक ईको सेंसिटिव जोन का कोई मापदंड तैयार नहीं किया गया है। मास्टर प्लान जब भी तैयार होगा उससे पहले हुए निर्माण के लिए कोई कानूनी अड़चन भी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी निर्माण होने से पहले प्रशासनिक स्तर पर पूरी तरह कार्रवाई की जाती है, तय मापदंडों का पालन किया जाता है, ऐसे में पहले से हुए निर्माण को गैरकानूनी या अवैध ठहराना न्यायोचित नहीं है। तृप्ति पांडे ने कहा कि विदेशों का दौरा करने पर यही अनुभव रहा है कि सुविधा से ही पर्यटकों को सुखद अनुभव प्रदान किया जा सकता है। वाइल्ड लाइफ प्रेमी जब किसी भी सेंचुरी में आएंगे तो उन्हें ठहरने के लिए कोई जगह तो चाहिए तो ऐसे में होटल्स का होना कैसे गलत हो सकता है। रणथंभौर से सरिस्का में बाघों को बसाने में अहम भूमिका निभाने वाले रघुवीर सिंह शेखावत ने कहा कि यह तथ्य पूर्णतया गलत है कि पर्यटकों के आने से बाघों या अन्य वन्यजीवों को नुकसान पहुंचेगा। बल्कि जब पर्यटक आते है तो वन्यजीव और वन क्षेत्र का अधिक रखरखाव किया जाता है।

(Udaipur Kiran)

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