जयपुर, 29 जुलाई (Udaipur Kiran) । भारतीय शिक्षण मंडल–युवा गतिविधि, जयपुर प्रान्त और एसएमएस मेडिकल कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को शोध पत्र लिखने की कला “विषय पर एक दिवसीय आनंदशाला एवं चिकित्सा विज्ञान, शिक्षा और अनुसंधान की महत्वपूर्ण भूमिका:विजन फॉर विकसित भारत” विषय पर एक दिवसीय सेमिनार एवं “विज़न फॉर विकसित भारत शोधपत्र लेखन प्रतियोगिता के पोस्टर विमोचन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
प्रांत मंत्री प्रो. गजेंद्र पाल सिंह ने बताया कि भारतीय शिक्षण मंडल, शिक्षा में पुनः भारतीयता प्रतिष्ठित करने में कार्यरत एक अखिल भारतीय संगठन है। शिक्षा नीति, पाठ्यक्रम एवं पद्धत्ति तीनों भारतीय मूल्यों पर आधारित, भारत केन्द्रित तथा भारत हित की हो, इस दृष्टि से संगठन वैचारिक, शैक्षिक और व्यावहारिक गतिविधियों का नियमित आयोजन करता है।
कार्यक्रम की प्रस्तावना डॉ. मुकेश शर्मा रखते हुए बताया कि इस अमृतकाल में राष्ट्र निमार्ण के हर क्षेत्र में अपना अनमोल योगदान देने के लिए युवाओं को शोध पत्र लिखने के लिए सक्षम बनाना और प्रेरित करना सेमिनार का मुख्य उदेश्य है।इस अवसर पर विजन फॉर विकसित भारत विविभा के पोस्टर का विमोचन किया गया।
विशिष्ठ अतिथि डॉ विश्व मोहन कटोंच, पूर्व महानिदेशक, आइसीएमआर, दिल्ली ने युवाओं को शोध पत्र लिखने और अपने सुझाव देने के लिए आगे आने को कहा। डॉ. कटोंच ने कहा कि चिकित्सा को मूल मानवाधिकार मानते हुए समाज के अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति तक इसकी पहुँच होनी चाहिए तथा इसका लाभ सम्पूर्ण समाज को मिले। उन्होंने वर्तमान समय में चिकित्सा क्षेत्र में शोध के विभिन्न आवश्यकताओं को विस्तार पूर्वक समझाया।
भारतीय शिक्षण मण्डल के राष्ट्रीय संरक्षक मोहन लाल छीपा ने बताया कि प्राचीन विज्ञान का आधुनिक विज्ञान के साथ समावेश कर शोध कार्य करना चाहिए जिससे भारत को आत्मनिर्भर एवं विकसित बनाया जा सके।
मुख्य अतिथि राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर की वाइस चांसलर प्रोफेसर डॉ. अल्पना कटेजा ने कहा कि विकसित भारत के लिए प्रत्येक भारतीय का योगदान आवश्यक है। उन्होने शिक्षा में भारतीयकरण पर जोर दिया एवं भारतीय सांस्कृतिक गौरव पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने हर भारतीय नागरिक से विज्ञान, स्वास्थ एवं खानपान की भारतीय पद्वति पर जोर देने की बात कही। शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर शोध की आवश्कता बताई।
मुख्य वक्ता हरियाणा सरकार में उच्च शिक्षा विभाग के ओएसडी प्रोफेसर राजेन्द्र कुमार अनायत ने कहा कि भारतीय शिक्षा और शोध भारत केंद्रित हो तभी भारत आत्मनिर्भर बन पाएगा । उन्होंने कहा कि यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि शिक्षा पर वैदिक घोषणा इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रही है कि हर इंसान को आत्मनिर्भर कैसे बनाया जाए, जबकि उपनिषद इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि प्रत्येक शिष्य को मोक्ष (आत्मसाक्षात्कारम्) प्राप्त करने में कैसे मदद की जाए। दोनों विचारधाराएं छात्र के स्तर, अनुशासन और अध्ययन के लिए चुने गए विषयों की परवाह किए बिना इन परिभाषित उद्देश्यों को प्राप्त करती हैं।
(Udaipur Kiran) / राजेश