जयपुर, 29 जुलाई (Udaipur Kiran) । जिले की स्थाई लोक अदालत ने ऑफ ड्यूटी में अवैध तरीके से बिजली लाइन का काम करने के दौरान करंट लगने वाले संविदाकर्मी को राहत से इनकार करते हुए उसका 90.50 लाख रुपए का क्लेम खारिज कर दिया है। लोक अदालत ने फैसले में कहा कि परिवादी ने बिजली लाइन का काम बिना किसी आदेश व ड्यूटी के अपनी मर्जी से किया है और उसे बिजली लाइन का शट डाउन प्राप्त करने का कोई भी अधिकार नहीं था। उसे केवल जीएसएस परिसर में ही काम करने के लिए संविदा पर रखा था, लेकिन उसने अपने कार्य क्षेत्र के बाहर जाकर अवैध तौर पर बिजली लाइन का काम किया और उस समय ही उसे करंट लगा। ऐसे में हादसा उसकी लापरवाही से हुआ है और वह किसी क्षतिपूर्ति राशि को प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। लोक अदालत के पीठासीन अधिकारी अनूप कुमार सक्सैना व दीपक चाचान ने यह आदेश श्याम सुन्दर रूण्डला के प्रार्थना पत्र को खारिज करते हुए दिया।
प्रार्थना पत्र में जेवीवीएनएल व के-3 कंस्ट्रक्शन कंपनी सहित अन्य को पक्षकार बनाते हुए कहा कि वह कंस्ट्रक्शन कंपनी के अधीन काम करता है। इस दौरान वह बिजली लाइन का काम कर रहा था तो ड्यूटी कर्मचारी मुकेश ने लापरवाही से बिजली लाइन को चालू कर दिया। जिससे वह करंट से झुलस गया और उसका बांया हाथ कंधे से काटना पडा। इस कारण आई निशक्तता से वह बेरोजगार हो गया है। इसलिए उसे जेवीवीएनएल सहित सहित अन्य पक्षकारों से क्षतिपूर्ति दिलवाई जाए। जवाब में जेवीवीएनएल ने कहा कि जिस समय यह हादसा हुआ तब परिवादी की ड्यूटी नहीं थी और उसने कार्यक्षेत्र से बाहर जाकर काम किया है। ऐसे में विभाग किसी तरह की क्षतिपूर्ति करने के लिए जिम्मेदार नहीं है। उसने बिना शट डाउन लिए काम किया है, जो गलत है। अदालत ने विभाग व अन्य पक्षकारों की दलीलों से सहमत होकर प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया।
(Udaipur Kiran)