कानपुर, 26 जुलाई (Udaipur Kiran) । मौसम के बदलते ही संक्रमण रोग चिकन पॉक्स पांव पसारने लगा है। यह रोग वेरीसेला जोस्टर नामक वायरस के कारण फैलता है जो संक्रमित बीमारी है। यह हवा और खांसी के माध्यम से एक से दूसरे में फैल जाता है। इसलिए इसमें बचाव ही सबसे बड़ा रास्ता है। इसके प्रभाव से मरीज के पूरे शरीर में दाने और छाले जैसे पड़ जाते हैं। यह बातें शुक्रवार को गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कालेज के त्वचा रोग विशेषज्ञ डा. डीपी शिवहरे ने कही।
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में चिकन पॉक्स के मरीज अस्पतालों में पहुंच रहे हैं और कानपुर भी इससे अछूता नहीं है। इसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर आ गया है और डाक्टरों को कड़े निर्देश दिये गये हैं। स्वास्थ्य विभाग ने निर्देशित किया है कि लक्ष्ण दिखने वाले मरीजों को तत्काल प्रभाव से आइसोलेट करने का काम किया जाए। हैलट अस्पताल के मेडिसिन विभाग के प्रो. बीपी प्रियदर्शी ने बताया कि चिकन पॉक्स वायरल इंफेक्शन है, जो पानी के माध्यम से भी फैल सकता है। यह एक छुआछूत वाली बीमारी है, जो एक से दूसरे व्यक्ति को पकड़ती है। यदि गर्मी अत्यधिक पड़ रही है तो आंत में अंदर की तरफ फोड़ा भी हो जाता है। इसके बाद शरीर में दाने के रूप में उभर आता है। ये बीमारी अनियंत्रित होने पर इसका असर दिमाग और लिवर तक में देखने को मिलता है। शरीर में छाले की तरह दाने पड़ जाते हैं।
त्वचा रोग विशेषज्ञ डा. डीपी शिवहरे ने बताया कि हैलट अस्पताल के मेडिसिन विभाग, चर्म रोग विभाग और बाल रोग विभाग की ओपीडी में इन दिनों रोजाना 10 से 15 मरीज चिकन पॉक्स के लक्षण वाले पहुंच रहे हैं। इसे आम भाषा में चेचक भी कहते हैं। वहीं, कुछ लोग इसे माता भी बोलते हैं। इन मरीजों को शरीर पर दानें, छाले के साथ तेज बुखार और सिरदर्द भी होता है। मरीज को बुखार, सिर दर्द, उल्टी और कमजोरी लगती है। शरीर में निकलने वाले लाल दाने में पानी भर जाता है। बुखार व सर्दी-जुकाम के साथ शरीर में सुस्ती और दर्द बना रहता है। इससे बचाव के लिए शरीर को साफ और स्वच्छ रखे। संक्रमित जगहों पर जानें से बचें। बाल्टी में नीम की पत्ती डालकर नहाएं संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाकर रखे। फिलहाल अस्पताल में आने वाले मरीजों के उपचार के लिए तैयारियां पूरी हैं और उनके साथ आने वाले तीमारदारों को बचाव की जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है।
(Udaipur Kiran) / अजय सिंह / राजेश