Uttar Pradesh

कुशीनगर के प्राचीन शिव मंदिर में बिहार से पहुंचे भक्त

शिव जलाभिषेक भक्त

कुशीनगर, 22 जुलाई (Udaipur Kiran) ।

कुशीनगर जिले में सावन माह के पहले सोमवार को भोले शिव को जलाभिषेक के लिए शिवालयों विशेषकर कुबेर स्थान धाम में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। हर-हर महादेव के उद्घोष के बीच श्रद्धालुओं ने शिवलिंग पर जलाभिषेक कर परिवार के सुख-समृद्धि और मंगल की कामना की। सैकड़ों साल पुराने शिव मंदिर में पूर्वांचल और पश्चिम बिहार के अनेक जिलों से भक्त आए।

सावन माह की शुरुआत ही सोमवार को होने से मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालु भोर में ही मंदिर पहुंचने शुरू हो गए थे। गंगाजल, दूध, दही से जलाभिषेक कर बेलपत्र, चावल व पुष्प से भगवान शिव की पूजा की। अनेक लोगों ने विशेष कामना के लिए रुद्राभिषेक भी किया।

कुबेरस्थान मंदिर भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। गोरखपुर, देवरिया , बिहार, सिवान, गोपालगंज, चंपारण समेत अनेक जिलों से भक्त यहां प्रत्येक साल सावन में जलाभिषेक के लिए आते हैं। श्रद्धालु यहां वर्ष भर श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने आते हैं लेकिन सावन माह में महत्व और बढ़ जाता है। पूरे माह यहां मेला लगा रहता है।

पडरौना के राज परिवार ने कराया था मंदिर का निर्माण

मान्यता के अनुसार सैकड़ो वर्ष पूर्व यहां घनघोर जंगल हुआ करता था। आसपास के लोग पशुओं को चराने के लिए यहां जुटते थे। एक दिन कुछ चरवाहों ने एक बरगद के सूखे पेड़ में आग लगा दिया। लकड़ी जलने लगी, उसी समय तेज आवाज हुई। जब चरवाहों ने देखा तो वह शिव लिंग था। चरवाहों द्वारा जानकारी मिलने पर वहां ग्रामीणों की भीड़ लकुशीनगर के प्राचीन शिव मंदिर जलाभिषेक को उमड़े भक्तग गई।

इसकी जानकारी जब जब तत्कालीन पडरौना स्टेट के राजा भूपनारायण सिंह को हुई तो वे शिव लिंग को वहां से खुदाई कराकर दूसरे स्थान भूपसागर पोखरे के पास स्थापित कराने के लिए खुदाई कराने लगे। दिन भर खुदाई होती थी और दूसरे दिन मिट्टी बराबर हो जाती थी। राजा हठ करके बार-बार खुदाई कराते थे। तब भगवान शिव ने राजा को स्वप्न दिखाया कि तुम मुझे वहीं छोड़ दो अन्यथा तुम्हारा सर्वनाश हो जाएगा। राजा हठ छोड़ कर पहले वाले स्थान पर ही भव्य मंदिर बनवा दिए। पूजन-अर्चन करने के लिए एक पुजारी की नियुक्ति की गई। तभी से कुबेरस्थान शिव मंदिर आस्था का केंद्र बना हुआ है।

एक माह तक चलता है मेला

सावन महीने में एक माह तक यहां मेला रहता है। शिव भक्त यहां भगवान शिव के साथ-साथ कुबेर की भी पूजा करते हैं। मान्यता है कि जो सच्चे मन से यहां भगवान शिव की पूजा करता है उसे धन-धान्य से कुबेर भर देते हैं।

(Udaipur Kiran) / गोपाल गुप्ता / राजेश

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