Uttrakhand

उपाध्याय विकसंत सागर मुनिराज का मंगल चातुर्मास प्रारंभ

The auspicious Chaturmas of Upadhyay Vikas Sagar Muniraj begins
The auspicious Chaturmas of Upadhyay Vikas Sagar Muniraj begins

देहरादून, 21 जुलाई (Udaipur Kiran) । राष्ट्रसंत गणाचार्य विराग सागर के युवा शिष्य उपाध्याय विकसंत सागर मुनिराज का मंगल चातुर्मास रविवार से श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर एवं जैन भवन में कलश स्थापना के साथ प्रारंभ हुआ। धार्मिक विधि विधान से मुनिराज का ससंघ विराजमान किया गया। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर समाज की महिलाओं द्वारा शास्त्र भेंट किए गए। गुरुदेव की संघस्थ माता को महिलाओं द्वारा वस्त्र भेट किए गए।

गुरुदेव ने अपने प्रवचन में बताया कि जैन धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व है। यह वर्षा काल में प्रारंभ होता है। इस समय अत्यधिक बरसात होने के कारण असंख्य जीवों की उत्पत्ति होती है एवं पदयात्रा करने पर उन जीवों की हिंसा होती है। जीवाें काे इसी हिंसा से बचाने के लिए जैन साधु वर्षाकाल में एक ही स्थान पर रहकर धर्म प्रभावना करते हैं। पूज्य गुरुदेव ने कहा कि जिसके जीवन में गुरु नहीं होता उसका जीवन शुरू नहीं होता। गुरु का प्रत्येक श्रावक के जीवन में बड़ा योगदान रहता है। गुरु हमारे जीवन के शिल्पकार होते हैं।

कार्यक्रम में अहमदाबाद उदयपुर आगरा मुरैना भिंड दमोह आदि स्थानों से आए भक्तों का जैन समाज द्वारा पटका एवं पगड़ी पहनाकर सम्मान किया गया। वर्षा योग के मुख्य मंगल कलश को प्राप्त करने का सौभाग्य जैन समाज के अध्यक्ष विनोद कुमार जैन को मिला इसके अतिरिक्त चार दिशाओं के चार छोटे कलश संदीप जैन (रामपुर वाले), बीरेंद्र जैन, पंकज जैन, अशोक जैन , प्रवीण जैन को प्राप्त हुए। संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन बाल ब्रह्मचारिणी देशना दीदी द्वारा किया गया। कार्यक्रम के उपरांत चंदनबाला जैन, हर्ष जैन, अनुज जैन (रामपुर वालों) परिवार द्वारा भोजन की व्यवस्था की गई।

(Udaipur Kiran)

(Udaipur Kiran) / राम प्रताप मिश्र / सत्यवान / वीरेन्द्र सिंह

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