
मुंबई,23 सितंबर ( हि.स.) । कहते हैं कि खाड़ी के प्राण मैंग्रोव वन में बसते हैं,यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है दरअसल खाड़ी की साँस मैंग्रोव वन है! और अगर उस साँस पर भी संकट आया, तो ठाणे पर्यावरण का भविष्य भी अंधकार में डूब जाएगा। इसी को ध्यान में रखते हुए, वन विभाग (मैंग्रोव वन) ने ठाणे खाड़ी को पुनर्जीवित करने का एक बड़ा फैसला लिया है। ठाणे पूर्व स्वामी समर्थ मठ की ओर जाने वाली सड़क के किनारे लगभग 1.80 हेक्टेयर क्षेत्र में 8000 मैंग्रोव पौधे लगाए जाएँगे।
ठाणे शहर में खाड़ी का 27 किलोमीटर लंबा किनारा है, और इस खाड़ी में मैंग्रोव वन हरियाली के प्राकृतिक आवरण के रूप में मौजूद है। हालाँकि, पिछले कुछ वर्षों में, ठाणे के पूर्व में मीठाबंदर रोड और स्वामी समर्थ मठ क्षेत्र में जंगली लताएँ और झाड़ियाँ व्यापक रूप से फैल गई हैं। इससे मैंग्रोव वनों के विकास में बाधा उत्पन्न हुई है और खाड़ी की पारिस्थितिकी पर भी असर पड़ा है।
इसी पृष्ठभूमि में, वन विभाग ने क्षेत्र में अनावश्यक पेड़ों और झाड़ियों को हटाकर एक नया मैंग्रोव वन लगाने की तैयारी की है। जल्द ही, यहाँ 8000 मैंग्रोव पौधे जड़ पकड़ लेंगे और अगले कुछ वर्षों में ठाणे की खाड़ी को एक नया हरित आवरण प्राप्त होगा।
सुनामी के बाद, पूरी दुनिया को मैंग्रोव वनों के वास्तविक महत्व का एहसास हुआ। ये पेड़ समुद्र की विशाल लहरों को रोकने, तूफानों के प्रभाव को कम करने, खाड़ी में मछलियों और केकड़ों को आश्रय प्रदान करने, प्रवासी पक्षियों को भोजन और आवास प्रदान करने और खाड़ी के पानी को प्राकृतिक रूप से शुद्ध करने जैसे कई कार्य करते हैं।
ठाणे मैंग्रोव क्षेत्र के वन अधिकारी मनीष पवार का कहना है कि “ठाणे की खाड़ी के किनारे मैंग्रोव वन लगाना न केवल एक पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरित विरासत का निर्माण भी है। 8,000 मैंग्रोव पौधों के रोपण से खाड़ी की जैव विविधता को बढ़ावा मिलेगा और पारिस्थितिक संतुलन बना रहेगा।
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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा
