Uttar Pradesh

एक साथ मंच पर उतरीं केजीबीवी की 68,000 बालिकाएं, सामाजिक बुराइयों पर करारा प्रहार

नुक्कड़ नाटक कर बालिकाओं ने दिया सशक्त संदेश
मिशन शक्ति 5.0 की यह पहल बालिकाओं के आत्मविश्वास, नेतृत्व और जागरूकता कार्यक्रम

प्रदेशभर के 746 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में आयोजित हुआ नुक्कड़ नाटक

बालिकाएं ही समाज में बदलाव की असली प्रेरणा हैं : मोनिका रानी

लखनऊ, 28 सितम्बर। रविवार को प्रदेशभर के 746 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) की 68,000 बालिकाएं नुक्कड़ नाटकों के मंच पर उतरीं और दहेज, बाल विवाह और बाल श्रम जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जोरदार और प्रेरक संदेश दिया। अभिनय कर रही बालिकाओं ने अपने-अपने पात्र के साथ पूरी तरह से न्याय किया। मिशन शक्ति 5.0 की यह पहल बालिकाओं के आत्मविश्वास, नेतृत्व और जागरूकता का अद्भुत प्रेरक उदाहरण बनी।

बता दें कि इस पहल की शुरुआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 20 सितंबर को किया गया था और अब यह कार्यक्रम बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के निर्देशन में पूरे प्रदेश में प्रभावी ढंग से गति पर है।

बालिकाओं ने दिया सशक्त संदेश

नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से बालिकाओं ने समाज में व्याप्त कुरीतियों पर करारा प्रहार करते हुए समाज को सशक्त संदेश दिया। दहेज प्रथा को सामाजिक कलंक बताते हुए यह स्पष्ट किया गया कि बेटी का सम्मान उसकी शिक्षा और योग्यता में है, न कि दहेज में। बाल विवाह के खिलाफ प्रस्तुतियों में यह जोर दिया गया कि नाबालिग विवाह न केवल कानूनन अपराध है, बल्कि यह बालिकाओं के उज्ज्वल भविष्य में बाधा डालता है। बाल श्रम पर आधारित नाटकों ने यह रेखांकित किया कि शिक्षा से वंचित बचपन समाज और राष्ट्र दोनों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इस पहल के दौरान बालिकाओं ने टीमवर्क, संवाद कौशल और नेतृत्व क्षमता का भी विकास किया। पुलिस, शिक्षकों और स्थानीय समुदाय के साथ हुए संवाद ने बालिकाओं में सुरक्षा और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को और मजबूत किया।

बालिकाओं की शक्ति, सम्मान और आत्मनिर्भरता की त्रयी को मिला बल

मिशन शक्ति 5.0 के तहत आयोजित यह कार्यक्रम नवरात्रि के शुभ अवसर पर बालिकाओं की शक्ति, सम्मान और आत्मनिर्भरता की त्रयी को साकार करता हुआ नजर आया है। इससे यह स्पष्ट हुआ कि जब बेटियों को मंच और अवसर मिलता है, तो वे समाज में सकारात्मक बदलाव की सबसे सशक्त वाहक बन सकती हैं। कार्यक्रम का समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि बालिकाएं भविष्य में समाज और राष्ट्र की नेतृत्वकारी भूमिका निभाकर विकास की नई राहें खोलेंगी। वास्तव में, यह पहल इस बात का प्रतीक है कि शिक्षा, जागरूकता और आत्मविश्वास ही नारी सशक्तिकरण का सबसे मजबूत आधार हैं।

महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी ने बताया कि बालिकाएं ही समाज में बदलाव की असली प्रेरणा हैं। जब बेटियां शिक्षा, नेतृत्व और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ती हैं, तो केवल उनका भविष्य ही सुरक्षित नहीं रहता, बल्कि पूरा समाज और राष्ट्र भी प्रगति की राह पर मजबूती से कदम रखते हैं। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर बेटी को अपने सपनों को साकार करने का अवसर मिले।

(Udaipur Kiran) / मोहित वर्मा

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