Haryana

हरियाणा की जेलाें में 680 बंदियों ने हासिल किया कौशल

श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के मूल्यांकन एवं प्रमाणन विभाग द्वारा आयाेजित परीक्षा में भाग लेते बंदी

-कौशल विकास व आईटीआई विभाग की पहल

चंडीगढ़, 16 नवंबर (Udaipur Kiran) । हरियाणा की जेलों में सजा काट रहे अपराधी भी अब स्किल ट्रेनिंग लेकर अपने जीवन में बदलाव कर रहे हैं। कौशल विकास एवं औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग के माध्यम से यह प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है। खास बात यह है कि इन कैदियों को सामान्य विद्यार्थियों की भांति श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के प्रमाण पत्र भी दिए जा रहे हैं।

प्रदेश की 17 जेलों में बंदियों को विभिन्न जॉब रोल में प्रशिक्षण दिया गया। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के मूल्यांकन एवं प्रमाणन विभाग ने 680 बंदियों की स्किल का मूल्यांकन किया और उन्हें प्रमाणपत्र प्रदान किए। कुलगुरु प्रोफेसर दिनेश कुमार व मूल्यांकन एवं प्रमाणन विभाग की संयुक्त निदेशक शिखा गुप्ता ने रविवार को चंडीगढ़ में जारी जानकारी में बताया कि कौशल विकास एवं औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग ने 17 जेलों में बंदियों को उनकी रुचि के आठ जॉब रोल के अनुसार उनको प्रशिक्षण दिया और इसके मूल्यांकन का जिम्मा श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के मूल्यांकन एवं प्रमाणन विभाग को दिया गया।

सितंबर और अक्टूबर माह में विभिन्न 17 जेलों में जाकर मूल्यांकन एवं प्रमाणन विभाग की टीमों ने बंदियों की स्किल परीक्षा ली। जिसका परिणाम सबसे ज्यादा 163 बंदियों ने असिस्टेंट इलेक्ट्रीशियन, 152 बंदियों ने कारपेंटर में स्किल परीक्षा दी। संयुक्त निदेशक शिखा गुप्ता ने बताया कि 84 बंदियों ने वेल्डिंग एन्ड फेब्रिकेशन, 67 ने डाटा एंट्री ऑपरेटर, 65 ने प्लम्बर और 56 ने असिस्टेंट ब्यूटी थेरेपिस्ट की स्किल परीक्षा पास की। इसके अतिरिक्त 58 बंदियों ने टेलरिंग में स्किल परीक्षा पास की। सभी को श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की ओर से कौशल विकास एवं औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग के माध्यम से प्रमाणपत्र प्रदान किए गए हैं।

यह बंदी जेलों से बाहर आकर अपने कौशल के बल पर अपना रोजगार शुरू कर सकते हैं। संयुक्त निदेशक शिखा गुप्ता ने बताया कि स्किल मूल्यांकन के साथ-साथ जेलों में बंदियों की काउंसलिंग की भी गई और नैतिक शिक्षा के पहलुओं से भी उन्हें अवगत करवाया गया है ताकि वह कौशल के साथ-साथ अपने व्यवहार से भी समाज में एक अलग पहचान बना सकें। संयुक्त निदेशक शिखा गुप्ता ने कहा कि यह बंदी जेलों से बाहर आकर न केवल सम्मानजनक जीवन जीने में सक्षम होंगे, बल्कि कौशल से उनके जीवन में आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास भी आएगा।

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(Udaipur Kiran) शर्मा