Bihar

पटना में संस्कृत दिवस समारोह का आयोजन, 650 प्रधानाध्यपकों ने लिया हिस्सा

संस्कृत दिवस समारोह का आयोजन कार्यक्रम के दौरान स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्ऱार्थ
संस्कृत दिवस समारोह का आयोजन मौके पर पोर्टल का उद्धाटन करते सम्राट चौधरी और दिलीप जयसवाल

यूपीएससी परीक्षाओं में भाषा के रूप में संस्कृत रखकर ही तैयारी करनी चाहिए-सम्राट चौधरी

पटना, 12 अगस्त (Udaipur Kiran) । बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड, पटना द्वारा रविन्द्र भवन में संस्कृत दिवस समारोह का आयोजन किया गया। दो सत्रों में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रदेश के 650 प्रस्वीकृत संस्कृत विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों ने हिस्सा लिया। समारोह के द्वितीय सत्र में बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सह विधानपार्षद डॉ. दिलीप जसवाल ,कुलपति प्रो.लक्ष्मीनिवास पाण्डेय एवं बोर्ड के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार झा ने संयुक्त रूप से वेबसाईट एवं पोर्टल का लोकार्पण किया।

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उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने अपने उद्घाटन संबोधन में संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता को प्रतिपादित करते हुए कहा कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षाओं में भाषा के रूप में संस्कृत रखकर ही तैयारी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्कृत सरल एवं सुगम है। संस्कृत से हमारी परंपरा अक्षुण्ण रहेगी। संस्कृत बढ़ेगी, तो हमारी संस्कृति समृद्ध होगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के सभी समस्याओं के समाधान के लिए कृतसंकल्पित है।

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कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय (केएसडीएसयू) के कुलपति प्रोफेसर लक्ष्मीनिवास पाण्डेय ने अपने संबोधन के दौरान वर्तमान परिप्रेक्ष्य में संस्कृत भाषा की उपयोगिता पर बल दिया। उन्होंने विद्यालयों में संस्कृतमय वातावरण निर्माण करने तथा छात्रों के मुख में भाषा प्रवाहित के लिए दस दिवसीय संस्कृत सम्भाषण आयोजित करने का आह्वान किया।

इससे पहले प्रथम सत्र में प्रधानाध्यापकों की कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला का उद्घाटन राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस.सिद्धार्थ, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. लक्ष्मीनिवास पाण्डेय एवं बोर्ड के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार झा ने संयुक्त रूप से किया।

इस मौके पर अपने उद्बोधन में स्वास्थ्य मंत्री डॉ मंगल पाण्डेय ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हृदय में शिक्षकों के प्रति सम्मान की भावना है। संस्कृत में संस्कार, चेतना एवं ज्ञान का भंडार है। पाठ्यक्रम में रामायण एवं गीता जैसे महान ग्रंथों को जो समावेश किया गया है, उससे ज्ञान के अलावा छात्रों में संस्कार भी बढ़ेगा।

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने कहा कि यहां इस भवन में बिहार की संस्कृति दिखाई दी है। संस्कृति को परिलक्षित करती है संस्कृत। संस्कृत अध्यापकों पर एक अतिरिक्त जिम्मेदारी भी है, जो कक्षाध्यापन के अलावा समाज में संस्कृति का संरक्षण करते हैं। शीघ्र ही संस्कृत विद्यालयों के कर्मियों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य के प्रत्येक जिले में एक-एक संस्कृत माडल स्कूल स्थापित किये जाएंगे।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार झा ने कहा कि अध्यक्ष पद पर आसीन होने के बाद लगभग 26 जिलों का दौरा कर संस्कृत विद्यालयों की समस्याओं से अवगत हुआ हूं। जिसमें विद्यालयों में आधारभूत संरचना का अभाव, आकस्मिकता मद का अभाव, कर्मियों का सेवांत लाभ, शिक्षकों के वेतन वृद्धि आदि समस्याएं प्रमुख हैं। इस दिशा में सरकार को लिखित अवगत करा दिया गया है। शीघ्र ही सभी समस्याओं का समाधान हमें देखने को मिलेगा।

समारोह में प्रदेश के 14 प्रधानाध्यापकों को सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वाले ऐसे विद्यालयों के प्राध्यापक शामिल रहे जिनके विद्यालय के छात्रों का परिणाम संख्या अधिक थी। समारोह में बोर्ड के सभी सदस्यों एवं पाठ्यक्रम निर्माण उपसमिति के सभी सदस्यों को भी सम्मानित किया गया।

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(Udaipur Kiran) / गोविंद चौधरी

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