Jharkhand

झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की बैठक में 51 कैदियों को रिहाई पर बनी सहमति

मुख्यमंत्री बैठक करते हुए

रांची, 22 अगस्त (Udaipur Kiran) । झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में शुक्रवार को कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में आयोजित झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की 35वीं बैठक सम्पन्न हुई। इस बैठक में राज्य के विभिन्न कारागारों में आजीवन सजा काट रहे 51 कैदियों को रिहा किए जाने पर सहमति बनी।

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में रिहाई से संबंधित 37 नए मामलों के साथ-साथ 66 वैसे कैदियों के मामलों पर भी पुनर्विचार किया गया, जिन्हें पिछली बैठकों में अस्वीकृत किया गया था। बैठक के दौरान राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की अनुशंसा के आलोक में राज्य के विभिन्न कारागारों में आजीवन सजा काट रहे कुल 103 कैदियों को कारामुक्त किए जाने के प्रस्ताव पर अधिकारियों के साथ बिंदुवार गहन विचार-विमर्श किया। पर्षद की ओर से रिहाई के लिए अनुशंसित एक-एक कैदियों की फाइल पर गंभीरता से विचार किया गया।

मुख्यमंत्री ने कैदियों के अपराध की प्रवृत्ति तथा न्यायालयों, संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षकों, जेल अधीक्षकों एवं प्रोबेशन अधिकारियों की ओर से दिए गए मंतव्य की पूरी जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने रिहाई के लिए अनुशंसित कैदियों की उम्र एवं पारिवारिक, सामाजिक तथा शैक्षणिक स्थिति की भी पूरी जानकारी ली। मुख्यमंत्री और अधिकारियों के बीच रिहाई के लिए प्रस्तावित सभी मामलों पर गहन विचारोपरान्त कुल 51 कैदियों को रिहा किए जाने के निर्णय लिया गया।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर अधिकारियों से कहा कि राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की बैठक में समीक्षा के बाद राज्य के विभिन्न कारागारों में 14 वर्ष या उससे अधिक समय से सजा काट रहे वैसे कैदी जिनकी उम्र ज्यादा हो गई है तथा जेल में उनका आचरण अच्छा है, उन्हें रिहा किया जाना चाहिए। साथ ही रिहा हो रहे कैदियों को एक बेहतर सामाजिक जीवन शुरू करने के लिए प्रेरित भी करें।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि रिहाई से संबंधित अनुशंसित मामलों में कुछ मामले ऐसे भी हैं, जिसमें कैदियों के बीमार होने तथा कुछ की मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहने की बात कही गई है, इन सभी मामलों के लिए एक बेहतर कार्य योजना तैयार कर ऐसे कैदियों को शारीरिक एवं मानसिक चिकित्सा की सुविधा प्रदान किए जाएं। चिकित्सा के बाद डॉक्टरों की ओर से दिए गए रिपोर्ट के अनुसार वैसे कैदियों की रिहाई पर विचार किया जाना चाहिए, ताकि वे अपना जीवन सुचारू रूप से व्यतीत कर सकें। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को रिहा होने वाले कैदियों को हर हाल में सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं से जोड़ने का निर्देश भी दिया।

बैठक में मुख्यमंत्री को अधिकारियों ने जानकारी दी कि राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की बैठक में सहमति के बाद वर्ष 2019 से अबतक राज्य के विभिन्न कारागारों से 619 कैदियों को रिहा किया जा चुका है, जिसमें 558 कैदियों का विभाग की ओर से भौतिक सत्यापन भी किया गया है। 61 बंदियों का भौतिक सत्यापन किया जाना बाकी है।

अधिकारियों ने यह भी बताया गया कि वर्ष 2019 से अबतक रिहा हुए 619 में से 470 कैदियों को सरकार की ओर से संचालित वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, प्रधानमंत्री आवास योजना, मनरेगा ई-श्रम कार्ड सहित अन्य योजनाओं के लाभ से जोड़ा गया है। रिहा हुए वैसे कैदी जिन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है, उन्हें संबंधित योजनाओं से जोड़ने का कार्य प्रक्रियाधीन है, जल्द ही सरकार की ओर से संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ उन्हें दिया जायेगा।

बैठक में मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, प्रधान सचिव गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग, वंदना दादेल, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनुराग गुप्ता, प्रधान सचिव-सह-विधि परामर्शी विधि (न्याय) नीरज कुमार श्रीवास्तव, महानिरीक्षक कारा एवं सुधारात्मक सेवाएं सुदर्शन प्रसाद मंडल, न्यायिक आयुक्त अनिल कुमार मिश्रा, प्रधान प्रोवेशन पदाधिकारी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे

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