


कोकराझाड़ (असम), 1 जुलाई (Udaipur Kiran) । कोकराझाड़ जिला प्रशासन द्वारा आज 43वां जिला दिवस गर्व और आत्मचिंतन के साथ मनाया गया। यह दिन जिले की चार दशकों की संघर्षपूर्ण यात्रा, परिवर्तन और सांस्कृतिक पहचान को समर्पित रहा। जिला उपायुक्त कार्यालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रशासनिक अधिकारियों, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने भाग लेकर जिले की प्रेरणादायक यात्रा को श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर जिला आयुक्त मसंदा एम पार्टिन ने अपने संबोधन में कोकराझाड़ की विकास यात्रा और उसकी स्थायी पहचान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “कोकराझाड़ संघर्ष और दृढ़ता का प्रतीक है। प्रशासनिक, राजनीतिक और जनसांख्यिकीय परिवर्तन के बावजूद, इस जिले ने अपनी विशिष्टता और आत्मा को संजोए रखा है।” उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे आज अपने घरों के बाहर दीप जलाएं और शासकीय भवनों को रोशन करें, जिससे यह दिन प्रतीकात्मक रूप से स्मरणीय बन सके।
डॉ. बनाबीना ब्रह्म, कोकराझाड़ गवर्नमेंट कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर ने जिले के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 1 जुलाई 1983 को तत्कालीन मुख्यमंत्री हितेश्वर सैकिया के कार्यकाल में कोकराझाड़ को आधिकारिक रूप से जिला घोषित किया गया था। इससे पूर्व यह क्षेत्र मुख्यमंत्री बिमला प्रसाद चालिहा के कार्यकाल के दौरान ग्वालपाड़ा का उप-मंडल हुआ करता था। उन्होंने कहा, “यह दिन केवल एक प्रशासनिक उपलब्धि नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान की ऐतिहासिक घोषणा भी है।”
सामाजिक कार्यकर्ता सर्बेश्वर बसुमतारी ने भी इस भावना को साझा करते हुए कहा, “कोकराझाड़ का जिला बनना इस क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ था। आज यह जिला अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान और सामुदायिक भावना के साथ मजबूती से खड़ा है।”
इस अवसर पर गोसाईगांव के एसडीओ (सी) मृदुल शिवहरे, एडीसी सुब्रहम आदित्य बोरा, वाडियुल इस्लाम, कविता डेका, कई सहायक आयुक्त, अधिकारीगण एवं कर्मचारी भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के हिस्से के रूप में नागरिकों को अपने घरों में दीप प्रज्वलित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया, जिससे पूरा जिला विरासत और आशा का दीपस्तंभ बन सका। कार्यक्रम का समापन कोकराझाड़ के समावेशी विकास, सांस्कृतिक गौरव और सामुदायिक नेतृत्व वाली प्रगति के प्रति सामूहिक संकल्प के साथ हुआ।
(Udaipur Kiran) / किशोर मिश्रा
