मीरजापुर, 17 जून (Udaipur Kiran) । शुद्धता के नाम पर दूध अब सफेदी का छलावा बन गया है। मीरजापुर में बीते पांच वर्षों में लिए गए दूध और उससे बने उत्पादों के 650 नमूनों में से 384 सैंपल मिलावटी पाए गए हैं। इस पर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने संबंधित दुकानदारों और प्रतिष्ठान संचालकों पर अब तक 92 लाख 87 हजार रुपये से अधिक का जुर्माना ठोका है।
2020 से 2025 तक लगातार खुलती रहीं मिलावट की परतें वर्ष 2020-21 से 2024-25 के बीच विभाग ने दूध के 231 और इससे बने उत्पादों के 419 सैंपल एकत्र किए। जांच में दूध के 148 और दूध-उत्पाद के 236 नमूने फेल हो गए। इन पर कुल 392 मुकदमे एडीएम कोर्ट में दाखिल किए गए, जिनमें से 384 मामलों में सजा के साथ जुर्माना भी लगाया गया।
त्योहारों पर बढ़ जाती है मिलावट की मात्रा अधिकारियों के अनुसार, मिलावटखोरी की सबसे अधिक शिकायतें त्योहारों के दौरान आती हैं, जब मिठाइयों और दूध की मांग बढ़ जाती है। मुनाफे की हवस में कुछ व्यापारी ऐसे रसायन मिलाते हैं जो सेहत के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं।
दूध नहीं, जहर परोस रहे कुछ व्यापारी खाद्य विभाग के अनुसार, दूध में शुद्धता के नाम पर यूरिया, डिटर्जेंट, कास्टिक सोडा, फार्मलीन, हाइड्रोजन पैराक्साइड, बोरिक एसिड, मेलामाइन और सफेद पाउडर जैसे खतरनाक रसायनों की मिलावट की जा रही है। ये पदार्थ लीवर, किडनी और पेट से जुड़ी बीमारियों की जड़ बन सकते हैं।
जनता की सजगता ही रोक सकती है मिलावट सहायक खाद्य आयुक्त द्वितीय डॉ. मंजूला सिंह ने कहा है कि यदि किसी को किसी भी खाद्य सामग्री में शक हो- चाहे स्वाद, गंध या रंग को लेकर तो वह तुरंत विभाग को सूचना दे। विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर कार्रवाई करेगी। उन्होंने यह भी बताया कि मिलावट पर पूर्ण अंकुश अभी नहीं लग पाया है, लेकिन लगातार अभियान जारी हैं। दूध और उससे बने उत्पादों की शुद्धता सीधे आमजन की सेहत से जुड़ी है। प्रशासनिक कार्रवाई के बावजूद मिलावटखोरों के हौसले बुलंद हैं। ऐसे में न सिर्फ सख्त सजा, बल्कि आम जनता की जागरूकता और शिकायत की तत्परता ही इस सफेद जहर के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार बन सकती है।
(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा
