
शिमला, 17 सितंबर (Udaipur Kiran) । पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह एक ठोस कानून बनाकर देश की प्राइवेट कंपनियों द्वारा सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के अंतर्गत दी जाने वाली धनराशि को आपदा पीड़ितों के पुनर्वास में लगाए। उन्होंने कहा कि एक अनुमान के अनुसार देश की प्राइवेट कंपनियों का सीएसआर फंड 3 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक है, जिसका सही तरीके से उपयोग किया जाए तो हजारों परिवारों को फिर से बसाया जा सकता है।
शांता कुमार ने बुधवार काे एक बयान में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सितम्बर का आधा महीना बीत चुका है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में जल आपदा की स्थिति लगातार भयावह होती जा रही है। हर रोज दिल दहला देने वाली खबरें आ रही हैं और आंखें नम कर देती हैं।
उन्होंने कहा कि सबसे कठिन कार्य पीड़ितों को दोबारा बसाना है, लेकिन सरकारें इस दिशा में असमर्थ दिखाई दे रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारों का दिवालिया निकल चुका है और पीड़ितों को पर्याप्त सहायता नहीं मिल रही है।
शांता कुमार ने बताया कि उन्होंने पहले भी प्रधानमंत्री और मंत्रियों को पत्र लिखकर सुझाव दिया था कि भारत सरकार के पास मौजूद 2 लाख करोड़ रुपये के लावारिस धन का उपयोग आपदा प्रबंधन में किया जाए, लेकिन सरकार ने उस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कंपनियों के लिए यह अनिवार्य किया है कि वे अपने कुल लाभ का 2 प्रतिशत समाज सेवा में लगाएं। इस कानून के तहत सरकारी कंपनियों का ही सीएसआर फंड लगभग 6 हजार करोड़ रुपये है, लेकिन यह धन भी पूरी तरह से समाज सेवा में खर्च नहीं हो रहा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने यह सुझाव दिया था कि लोकसभा की एक स्थायी समिति देश की सभी प्राइवेट कंपनियों को उनके सीएसआर फंड का उपयोग समाज सेवा में करने के लिए बाध्य करे। यदि सरकार कानून बनाकर इस धन को अपने अधीन ले ले और इसका उपयोग आपदा पीड़ितों के पुनर्वास में करे, तो यह एक क्रांतिकारी कदम होगा।
उन्होंने सरकार से अपील की है कि इस दिशा में तुरंत कार्रवाई की जाए ताकि आपदा से पीड़ित लाखों लोगों को राहत मिल सके और उन्हें फिर से जीवन शुरू करने का अवसर प्राप्त हो।
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(Udaipur Kiran) शुक्ला
