ऊना, , 17 जुलाई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश सरकार की प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की नीति का ऊना जिले में सकारात्मक असर दिखाई दे रहा है। जिले के 16,858 किसान अब तक इस रसायन मुक्त खेती पद्धति से जुड़ चुके हैं जिससे न केवल खेती की लागत घटी है बल्कि किसानों की आमदनी में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
सरकार ने प्राकृतिक गेहूं के लिए 60 रुपये प्रति किलो और मक्की के लिए 40 रुपये प्रति किलो का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय किया है। इसके साथ ही किसानों को 2 रुपये प्रति किलो तक का परिवहन भत्ता भी दिया जा रहा है। प्राकृतिक उपज को बाज़ार तक पहुंचाने के लिए ‘हिम भोग’ ब्रांड के तहत मक्की का आटा उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से उपलब्ध करवाया जा रहा है।
जिले में प्राकृतिक खेती के लाभ
जिला आतमा परियोजना के निदेशक वीरेंद्र बग्गा ने जानकारी दी कि बीते सीजन में 39 किसानों से 41.66 मीट्रिक टन प्राकृतिक गेहूं खरीदी गई है। अंब, बंगाणा, गगरेट, हरोली और ऊना ब्लॉक से प्राप्त गेहूं के लिए इन किसानों को कुल ₹25,83,341 सीधे उनके बैंक खातों में दिए गए। इसी तरह 15 किसानों से 11.15 मीट्रिक टन प्राकृतिक मक्की खरीदी गई, जिसके लिए ₹3,34,542 की राशि प्रदान की गई।
जिले में फिलहाल 2,092 हैक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक तकनीक से खेती की जा रही है। वीरेंद्र बग्गा के अनुसार यह खेती विधि पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित होने के साथ-साथ मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखती है। लागत शून्य होने के चलते किसानों को अच्छा लाभ मिल रहा है।
सरकारी सहायता और सब्सिडी योजनाएं
प्राकृतिक खेती से जुड़ने वाले किसानों को देसी नस्ल की गायें उपलब्ध करवाई जा रही हैं। इसके लिए सरकार 25,000 रुपये या 50% तक की सब्सिडी देती है, साथ ही 5,000 रुपये का परिवहन अनुदान भी मिलता है। इसके अलावा प्लास्टिक ड्रम पर 75%, साइकल हल पर ₹1500 या 50% और गाय के पक्के फर्श निर्माण के लिए अधिकतम ₹8,000 की सब्सिडी का प्रावधान भी है।
किसानों को दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से प्राकृतिक खेती की विधियों और जैविक वनस्पतियों की जानकारी दी जाती है। छह महीने तक खेती करने के बाद ही किसान अन्य सरकारी सहायता के लिए पात्र बनते हैं। खंड स्तर पर टेक्निकल मैनेजर और सहायक तकनीकी अधिकारियों की टीम किसानों की फसलों का निरीक्षण करती है और उन्हें खेती से जुड़ी जरूरी जानकारियां समय-समय पर प्रदान करती है।
उपायुक्त ऊना जतिन लाल ने किसानों से प्राकृतिक खेती को अपनाने की अपील करते हुए कहा कि यह पद्धति न केवल किसानों की भूमि को उपजाऊ बनाए रखती है, बल्कि स्वास्थ्य और आय दोनों के लिहाज से लाभकारी है। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन किसानों को हरसंभव तकनीकी और वित्तीय सहयोग दे रहा है।
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(Udaipur Kiran) शुक्ला
