
– 35 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज
रायपुर, 7 जुलाई (Udaipur Kiran) । नवा रायपुर स्थित श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च के पक्ष में रिपोर्ट बनाने के मामले में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की टीम ने हवाला के जरिए 55 लाख रुपये की रिश्वत ली है। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने गिरफ्तार किए गए तीन डॉक्टरों समेत कुल छह आरोपितों को रिमांड खत्म होने पर सोमवार को रायपुर की सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया। सीबीआई ने पूछताछ के लिए किसी भी आरोपित की रिमांड बढ़ाने की मांग नहीं की, जिसके बाद कोर्ट ने सभी आरोपितों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। अब ये सभी आरोपित 21 जुलाई तक जेल में रहेंगे। जिन आरोपितों को आज कोर्ट में पेश किया गया, उनमें डॉ. मंजुप्पा सी.एन., डॉ. चैत्रा (एमएस), डॉ. अशोक शेलके, रावतपुरा सरकार के निदेशक अतुल कुमार, सतीश और रविचंद्र शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि निजी मेडिकल कॉलेजों को मान्यता दिलाने के नाम पर चल रहे करोड़ों के घूसकांड में सीबीआई ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंस के चांसलर डीपी सिंह, रविशंकर महाराज, इंदौर के सुरेश सिंह भदौरिया, सहित 35 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की है।
सीबीआई सूत्रों के अनुसार कॉलेज की मान्यता के नाम पर पहले भी 1 करोड़ 62 लाख रुपये की राशि की डील हुई थी, जिसकी शिकायत 2024 में की गई थी। इसके बाद अब 55 लाख रुपये के लेन-देन का मामला सामने आया है। बेंगलुरु के दो डॉक्टरों के पास हवाला के जरिए पैसा पहुंचा था। सीबीआई की शुरुआती जांच में सामने आया है कि निजी मेडिकल कॉलेजों को मान्यता दिलाने के लिए फर्जी फैकल्टी, फर्जी निरीक्षण रिपोर्ट, मरीजों के झूठे रिकॉर्ड और गोपनीय दस्तावेजों की लीकिंग के जरिए प्रक्रिया को प्रभावित किया गया। कॉलेज संचालकों ने इन सेवाओं के बदले हवाला और बैंकिंग चैनलों के माध्यम से मोटी रकम की रिश्वत दी।
सीबीआई द्वारा न्यायालय के समक्ष पेश दस्तावेजों में बताया गया कि अध्यक्ष रविशंकर महाराज के कहने पर श्री रावतपुरा सरकार आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान आगामी आधिकारिक निरीक्षण के बारे में गोपनीय और अग्रिम जानकारी प्राप्त करने की साजिश में शामिल था। इसके लिए संस्थान के निदेशक अतुल कुमार तिवारी ने गीतांजलि विश्वविद्यालय, उदयपुर, राजस्थान के रजिस्ट्रार मयूर रावल के साथ मिलीभगत करके गैरकानूनी तरीके से ऐसी विशेषाधिकार प्राप्त जानकारी हासिल करने की कोशिश की।
यह भी आरोप लगाया गया है कि मयूर रावल ने गोपनीय निरीक्षण से संबंधित विवरण का खुलासा करने के बदले में 25–30 लाख रुपये की रिश्वत मांगी। 26 जून 2025 को रावल ने तिवारी को 30 जून 2025 को निर्धारित निरीक्षण की तैयारी करने के लिए सूचित किया था। इसके अलावा रावल ने तिवारी को नामित निरीक्षण दल के सदस्यों के नाम भी बता दिए, जिससे आधिकारिक गोपनीयता भंग हुई और इस तरह के निरीक्षणों को नियंत्रित करने वाले वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन हुआ।
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(Udaipur Kiran) / केशव केदारनाथ शर्मा
