Haryana

कारगिल संघर्ष में झज्जर जिला के 11 जांबाजों ने दिया था बलिदान

कारगिल संघर्ष के बलिदानियों को नमन करते उपायुक्त स्वप्निल रविंद्र पाटिल।

झज्जर, 26 जुलाई (Udaipur Kiran) । जिला उपायुक्त स्वप्निल रविंद्र पाटिल ने शनिवार को कारगिल विजय दिवस के अवसर पर झज्जर जिला, प्रदेश व देश के उन सभी सैनिकों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने कारगिल संघर्ष में अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया था। भारतीय सेवा कैसे ऑपरेशन में झज्जर जिला के 11 जवान शहीद हुए थे।

झज्जर वीरों की भूमि है। चाहे देश की आजादी की लड़ाई हो या फिर 1962, 65, 71 या फिर 1999 में कारगिल युद्ध। झज्जर के वीर जवानों ने अपने प्राणों की बाजी लगाते हुए दुश्मनों के छक्के छुड़ा भारत माता को दुश्मनों के चंगुल से मुक्त करवाया था। कारगिल युद्ध में झज्जर जिले के जवानों ने अपने अदम्य साहस का परिचय दिया। मात्र 21 वर्ष की आयु से लेकर 25 वर्ष तक की आयु के जवानों ने भारत मां की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी, लेकिन दुश्मन को अपनी जमीं पर टिकने नहीं दिया।

26 अप्रैल 1999 से जुलाई 1999 तक चले इस कारगिल युद्ध में झज्जर के 11 जवानों ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपना बलिदान दे दिया, लेकिन दुश्मनों को अपने क्षेत्र में कब्जा नहीं करने दिया। दुर्गम क्षेत्रों में जहां दुश्मन पहाड़ियों पर आधुनिक हथियारों से लैस था, तब भी अपना हौसला नहीं छोड़ा और दुश्मनों को मार गिराकर तिरंगा झंडा फहरा दिया। कारगिल की लड़ाई में सात जुलाई को उस समय पूरे जिले के लोगों की आंखें नम हो गईं थी। जब एक साथ चार जवानों के पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटे हुए आए थे। इन शहीदों में गांव झांसवा से राजेश, गांव खुंगाई के हरिओम, गांव ढाकला के धर्मवीर व कुलदीप शामिल रहे।

जिले के गांव ढाकला के जवान धर्मवीर जब कारगिल में आपरेशन विजय में शहीद हुए तब उनकी आयु महज 24 वर्ष की थी, लेकिन देशभक्ति का जज्बा उनमें कूट-कूट कर भरा हुआ था। जिसके चलते उन्होंने युद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ाते हुए भारत माता के चरणों में अपने प्राणों की आहुति दे दी। शहीद की वीरांगना विद्या देवी कहती हैं कि जो जज्बा शहीद धर्मवीर में था वो ही देशभक्ति का जज्बा उनके बेटे में भी है।

उन्होंने बताया कि जब उनके पति शहीद हुए तब उनके दोनों बच्चे बहुत छोटे थे। बेटी दो साल की थी और बेटा 6 माह का। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने कभी हौसला नहीं छोड़ा। अपने दम पर खड़ा होकर अपने बच्चों की परवरिश की और अब वो यही चाहती हैं कि उनका बेटा पिता की तरह देश की सेवा करे। 7 जुलाई 1999 को जिला झज्जर कभी नहीं भूल सकता। 7 जुलाई को जिले के चार वीर जवानों ने हंसते-हंसते भारत मां के चरणों में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। जैसे ही इन चारों जवानों के तिरंगे में लिपटे हुए पार्थिव शरीर झज्जर पहुंचें थे तो सभी जिलावासियों की आंखें नम थी और भारत माता की जय। शहीद अमर रहे के गगन चुंबी नारे लग रहे थे।

11 जवानों ने दी थी अपने प्राणों की आहुति

-हवलदार हरिओम पुत्र चंदराम, गांव खुंगाई।

-सिपाही धर्मवीर पुत्र सूबे सिंह, गांव ढाकला।

-ग्रेेनेडियर सुरेंद्र पुत्र रण सिंह, गांव सुबाना।

-लांस नायक राजेश पुत्र रामेशवर, गांव झांसवा।

-सिगनल मैन विनोद पुत्र जगदीश, गांव जैतपुर।

-लांस नायक श्याम सिंह पुत्र हुकुमचंद, गांव निलोठी।

-असि. कमांडेट आजाद दलाल पुत्र लायकराम, गांव जाखौदा।

-हवलदार जयप्रकाश पुत्र रण सिंह, गांव देशलपुर।

-नायक लालाराम पुत्र रिजकराम, गांव जटवाड़ा।

– कैप्टन अमित वर्मा पुत्र कर्नल सुरेंद्र सिंह, गांव बराही।

– नायक रामफल पुत्र राज सिंह, गांव सौलधा।

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(Udaipur Kiran) / शील भारद्वाज

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