
कोलकाता, 13 सितम्बर (Udaipur Kiran) । नेपाल में हाल के राजनीतिक संकट के बीच वहां फंसे भारतीयाें के लाैटने का क्रम अभी जारी है। पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले के 10 प्रवासी श्रमिक अब सुरक्षित घर लौट आए हैं। इनमें से 7 श्रमिक हीराबांध ब्लॉक के मोलियान क्षेत्र के लालबाजार गांव के रहने वाले हैं जबकि अन्य दो श्रमिक सिमलापाल के लक्ष्मीसागर और एक बिष्णुपुर का निवासी हैं।
ये सभी श्रमिक नेपाल के बीरगंज में कांसा-पीतल के बर्तन बनाने की फैक्ट्री में काम करते थे। नेपाल में हाल ही में राजनीतिक संकट के चलते हालात बिगड़ गए थे और श्रमिक फैक्ट्री के अंदर ही फंसे रह गए थे। कई दिनों तक भय और अनिश्चितता झेलने के बाद वे अंततः सुरक्षित भारत लौटने लगे हैं।
लालबाजार निवासी प्रशांत कर्मकार ने शनिवार को बताया कि पिछले गुरुवार दोपहर कुछ समय के लिए कर्फ्यू में ढील मिली। तभी उन्होंने साथियों के साथ एक गाड़ी किराए पर लेकर नेपाल के बीरगंज से करीब 15 किलोमीटर का सफर तय किया। उसके बाद 10 किलोमीटर पैदल चलकर वे बीरगंज-रक्सौल बॉर्डर पहुंचे। कई जगह जांच हुई, लेकिन आधार कार्ड दिखाने पर उन्हें छोड़ दिया गया। वहां से रक्सौल स्टेशन पहुंचे और रात 9 बजे की ट्रेन पकड़कर शुक्रवार सुबह दुर्गापुर पहुंचे। वहां से गाड़ी किराए पर लेकर बांकुड़ा लौट आए। उन्होंने बताया कि अभी भी उनके इलाके के 300 से अधिक लोग काठमांडू, बीरगंज, नेपालगंज और धरान जैसे इलाकों में फंसे हुए हैं। उन्होंने कहा, “मेरा भाई भी धरान में है। हम चाहते हैं कि सभी सुरक्षित लौट आएं और वहां की स्थिति भी शांत हो।”
वहीं, लालबाजार के ही दीपेन कर्मकार ने कहा, “हमारा गांव बॉर्डर के पास है, इसी कारण कर्फ्यू में ढील मिलते ही वहां से निकल पाए। लेकिन हमारे यहां के कई ग्रामीण अब भी नेपाल के अलग-अलग हिस्सों में फंसे हैं। हम चाहते हैं कि वे भी सुरक्षित घर लौटें।”
हीराबांध के मोलियान क्षेत्र के लालबाजार और श्यामनगर गांव कभी कांसा-पीतल उद्योग के लिए प्रसिद्ध था। कभी यहां 150 से अधिक कारखाने हुआ करओ थे, लेकिन अब मुश्किल से 15 बचे हैं। रोजगार के अभाव में गांव के कई युवक पिछले कुछ दशकों से नेपाल जाकर काम करने लगे हैं।———-
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
