
प्रयागराज, 6 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । आधुनिक चिकित्सा के जमाने में लोगों का प्राकृतिक चिकित्सा से दूरी आम बीमारियों के लिए जिम्मेदार है। स्वस्थ व एक्सरसाइज कर फिट रहने के बावजूद हार्ट अटैक से निधन होना चिंता का विषय हैl
यह बातें सोमवार की सुबह एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान धूमनगनगंज, प्रयागराज में जाने-माने स्पर्श चिकित्सक सतीश राय ने स्पर्श चिकित्सा कार्यक्रम सम्पन्न होने पर कहीं।
ज्ञान आधारित देश है भारत
उन्होंने कहा कि हमारा भारत ज्ञान आधारित देश है। यहां लोगों को आध्यात्मिक तरीके से ठीक करने की प्रथा रही है। हमें बीमारियों को प्राकृतिक तरीके से ठीक करने पर ध्यान देना होगा।
पांच तत्वों से मिलकर बना है शरीर
उन्होंने बताया कि, शरीर पांच तत्वों जल, पृथ्वी, अग्नि, वायु और आकाश तत्व से मिलकर बना है और हमारा शरीर भी पांच हिस्सों में बंटा है। उन्होंने कहा कि तवे से लेकर घुटने तक जल तत्व है घुटने के नीचे कोई भी तकलीफ हो तो जो पानी पी रहे हैं उसमें कोई दोष है। उसे सही करने पर वह रोक ठीक हो जाएगा। घुटने से कमर तक पृथ्वी तत्व का हिस्सा है घुटने से लेकर कमर के बीच में कोई तकलीफ है तो पृथ्वी तत्व में कमी है। अर्थात खान-पान में कोई गड़बड़ी है। पृथ्वी तत्वों में कमी से साईटिका जैसा रोग होता है, इसमें ज्यादा मिर्च मसाला खाना दिक्कत देता है। लाल मिर्च तो भूल से भी नहीं खाना चाहिए।
कमर के ऊपर सीने से नीचे अग्नि तत्व का हिस्सा है यदि इसके बीच में कोई गड़बड़ी है तो सीधा सा अर्थ है की अग्नि तत्व में कमी है उसे सुधारने पर वह रोग ठीक हो जाएगा। छाती से लेकर गले तक का हिस्सा वायु तत्व है इसमें कोई तकलीफ है तो वायु दोष है उसे सही करने पर उससे संबंधित सभी रोग ठीक हो जाएंगे। गर्दन से ऊपर का पूरा हिस्सा आकाश तत्व है इसमें कोई तकलीफ है तो योग प्राणायाम स्पर्श ध्यान करेंगे इससे आकाश तत्व मजबूत होगा। आकाश तत्व को ठीक रखने के लिए सकारात्मक ध्वनि उच्चारण पूजा पाठ उपासना मंत्र जाप करने से आकाश तत्व मजबूत होता है ।
देसी इलाज से भी रह सकते हैं स्वस्थ
सतीश राय ने कहा कि आधुनिक जीवन शैली अपनाने के कारण आजकल लोगों के कम उम्र में ही बाल झड़ रहे हैं। बाल सफेद हो रहे हैं पेट निकल रहा है, जोड़ों में दर्द है, कम उम्र में हार्ट अटैक आ रहा है, इन सब के लिए प्राकृतिक तरीकों को अपने दिनचर्या में शामिल करना फायदेमंद होगा।
उन्होंने कहा अब पुनः देसी इलाज की ओर लौटने का समय आ गया है। आध्यात्मिक उपचार के साथ-साथ अपने रोजमर्रा जीवन में 5 मिनट खूब जोर-जोर से ताली बजाने, बात-बात में मुंह फुलाने की अपेक्षा दिल खोलकर ठहाका लगाकर हंसने और प्रसन्न रहने एवं अपने खान-पान में बदलाव कर स्वस्थ रह सकते हैं।
सतीश राय ने कहा कि आधुनिक शिक्षा ग्रहण कर लोग आधुनिक दिखाने के लिए सबसे ज्यादा भारतीय संस्कृति को ही कोसते हैं। भारतीय शिक्षण पद्धति जो दुनिया की सबसे श्रेष्ठ पद्धति थी उसे चरणबद्ध तरीके से लुप्त की गई।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र
