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गमगीन माहौल में मनाया गया यौम-ए-आशूरा

Taziya procession to Observe Moharram

नई दिल्ली, 17 जुलाई (Udaipur Kiran) । इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने मोहर्रम की दस तारीख को मनाया जाने वाला यौम-ए-आशूरा राजधानी के विभिन्न मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में गमगीन माहौल में मनाया गया। इस मौके पर जगह-जगह ताजिये और अलम के साथ मुहर्रम के जुलूस निकाले गए। जुलूम में मातम के साथ-साथ नौहा-ख्वानी और मातम भी किया गया। काबिलेजिक्र है कि आज से 1400 साल पहले पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन साहब को उनके 72 साथियों के साथ उस वक्त के शासक यजीद की सेना ने ईराक़ स्थित कर्बला के मैदान में आत्म समर्पण नहीं करने पर शहीद कर दिया था। इसमें बुजुर्ग और बच्चे भी शामिल थे। इसी की याद को ताजा करने के लिए प्रत्येक वर्ष शिया और सुन्नी मुसलमान यौम-ए-आशूरा मनाते हैं।

इस मौके पर ऐतिहासिक पुरानी दिल्ली के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में मोहर्रम की 9 तारीख की रात में हर साल की तरह इस बार भी इमाम चौकों पर ताजिया बैठाई गई। यहां पर शोक मनाया मया और फातेहा ख्वानी की गई। शिया मुसलमानों के जरिए दरगाह शाहे-मर्दांं जोरबाग और कश्मीरी गेट स्थित दरगाह पंजा शरीफ में रातभर धार्मिक आयोजन किया गया जिसमें शोक मनाया गया। इमाम हुसैन और उनके समर्थकों की शहादत को याद करके रोया गया।

मोहर्रम की 10 तारीख़ को राजधानी के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में ताजियों का जुलूस और मातमी जुलूस निकालने की पुरानी परंपरा रही है। पुरानी दिल्ली के मोहल्लों से ताजियों का जुलूस निकाल कर जमा मस्जिद पर लोग एकत्र हुए और यहां से एक लंबा जुलूस बनाकर चावड़ी बाजार, अजमेरी गेट, पहाड़गंज, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली की जामा मस्जिद, सांसद मार्ग होते हुए कर्बला जोरबाग तक का सफर किया। बाद में यहां पर ताजियों को दफन कर दिया गया। कर्बला जोरबाग में पानी और शर्बत की सबीलें और लंगर आदि का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में मुसलमानों ने हिस्सा लिया और लंगर खाया।

इसके अलावा राजधानी के दीगर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों सीलमपुर, मुस्तफाबाद, जाफराबाद, नंद नगरी, सीमापुरी, शाहदरा, झील, खुरेजी, जगतपुरी, त्रिलोकपुरी, लक्ष्मी नगर, शकरपुर, मदनगीर, खानपुर, तिगड़ी, हमदर्द नगर, संगम विहार, गोविंदपुरी, तुगलकाबाद, ओखला, अबुल फजल एनक्लेव सहित दक्षिण दिल्ली और बाहरी दिल्ली के विभिन्न गांव में भी ताजियों का जुलूस निकाला गया। इसी तरह की एक बहुत पुरानी रिवायत दरगाह हजरत निजामुद्दीन औलिया में चली आ रही है, जहां भारत में ताजियों के जनक के रूप में प्रसिद्ध सम्राट तैमूर लंग के समय का लकड़ी का बना एक ताजिया हर साल यहां पर रंग रोगन कर के निकाला जाता है। इस बार भी यहां इसे निकाला गया जिसे देखने के लिए लोगों का बड़ा हुजूम जमा हुआ। इस ताजिये के अवशेषों को हर बार की तरह कर्बला जोरबाग में दफन कर दिया गया।

(Udaipur Kiran) / मोहम्मद ओवैस

(Udaipur Kiran) / मोहम्मद शहजाद / पवन कुमार श्रीवास्तव

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