Chhattisgarh

वर्दी का रौब : बलरामपुर बस स्टैंड पर आबकारी अफसर की दबंगई का वीडियो वायरल, इंसानियत हुई शर्मसार

वायरल वीडियो की तस्वीर।

बलरामपुर, 5 नवंबर (Udaipur Kiran) । छत्तीसगढ़ के बलरामपुर-रामानुजगंज जिले से एक ऐसा वीडियो सामने आया है, जिसने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या अब वर्दी ताकत की नहीं, बल्कि दादागिरी की पहचान बन चुकी है? सोलह सेकंड का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें कथित तौर पर आबकारी उपनिरीक्षक नीरज साहू का रौब और एक गरीब ठेले वाले की बेबसी सबके सामने है।

बताया जा रहा है कि, यह वीडियो बलरामपुर बस स्टैंड का है। दृश्य में वर्दीधारी नीरज साहू अपने सामने खड़े एक ठेले वाले का कॉलर पकड़ते हैं, उसे सरकारी गाड़ी की ओर धकेलते हैं और फिर जमीन पर पटक देते हैं। ठेले वाले के गले पर नाखूनों के निशान तक दिख रहे हैं। सवाल उठता है अगर ठेलेवाले ने गलती की थी, तो क्या कानून हाथ में लेना ही अब न्याय का नया तरीका है? या फिर वर्दी पहनते ही इंसानियत छुट्टी पर चली जाती है?

वर्दी का रौब या इंसानियत का जनाजा?

वर्दी, जो सम्मान और सेवा का प्रतीक होती है, अब लोगों के बीच डर का पर्याय बनती जा रही है। वीडियो सामने आने के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश है। सोशल मीडिया पर लोग सवाल कर रहे हैं, क्या वर्दी का मतलब है गरीबों को रौंदना? प्रशासन की खामोशी इस पूरे मामले पर और भी सवाल खड़े कर रही है।

पहले भी विवादों में रहे नीरज साहू

यह कोई पहला मौका नहीं है जब उपनिरीक्षक नीरज साहू विवादों में आए हों। जून महीने में भी इनका नाम तब सुर्खियों में आया था, जब उन पर 20 हजार रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगा था। उस वक्त भी इनका वीडियो वायरल हुआ था। अब एक बार फिर वही कहानी, बस किरदार वही और पीड़ित बदल गया।

इस मामले में जिला आबकारी अधिकारी सत्यनारायण साहू ने आज बुधवार को बताया कि, मामला संज्ञान में है और नीरज साहू ने सफाई दी है कि ठेले वाले ने शराब दुकान के 100 मीटर दायरे में चखना दुकान लगाया था। हटाने की बात पर विवाद हुआ। लेकिन सवाल यह है कि क्या हटाने का मतलब पटकने से है? और क्या सरकारी कार्य में बाधा का मतलब किसी गरीब की गर्दन दबाना है?

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(Udaipur Kiran) / विष्णु पांडेय