Uttar Pradesh

तमिल केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारत की सामूहिक बौद्धिक और सांस्कृतिक चेतना का अभिन्न अंग : डॉ. जगदीसन टी

आर्य महिला पी.जी. कॉलेज में काशी तमिल संगमम 4.0 पर व्याख्यान

—आर्य महिला पी.जी. कॉलेज में काशी तमिल संगमम 4.0 पर व्याख्यान

वाराणसी, 24 नवंबर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी तमिल संगमम के चौथे संस्करण की तैयारियों के साथ इसके प्रति जागरूकता अभियान भी चल रहा है। सोमवार को चेतगंज स्थित आर्य महिला पीजी काॅलेज में प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति पुरातत्व विभाग की ओर से काशी तमिल संगमम् 4.0 के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण शैक्षिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा विभाग में सहायक प्रोफेसर जगदीसन टी. ने कहा कि तमिल केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारत की सामूहिक बौद्धिक और सांस्कृतिक चेतना का अभिन्न अंग है। उन्होंने “संगमम्” की भावना–अर्थात् विचारों, परंपराओं और संस्कृतियों के समन्वय को भारत की एकात्मता की मूल शक्ति बताया। इस संदर्भ में तमिल सीखने के महत्त्व को भी बताया। उन्होंने तमिल भाषा की प्राचीनता, ज्ञान-परंपरा तथा भारतीय सांस्कृतिक विरासत में उसके योगदान का उल्लेख किया। डॉ. जगदीसन ने संस्कृत–तमिल साहित्यिक संवाद, दक्षिण भारत की सांस्कृतिक परंपराओं तथा भारतीयता की बहुलतावादी अवधारणा पर भी महत्वपूर्ण विचार साझा किए।

डॉ. जगदीसन ने “लेट्स लर्न तमिल: व्हाई इंडिया नीड्स टू लर्न तमिल फॉर संगमम् ऑफ आइडियाज़ ऑफ इंटीग्रेशन” व्याख्यान में संस्कृत–तमिल साहित्यिक संवाद, दक्षिण भारत की सांस्कृतिक परंपराओं को विस्तार से बताया। प्रोफेसर विश्वनाथ मिश्र ने कोऑर्डिनेटर, आइक्यूएसी ने इस तरह के आयोजनों को भारत की सांस्कृतिक एकता के लिए महत्वपूर्ण बताया। इसके पहले कालेज की प्राचार्या प्रोफेसर रचना दुबे ने स्वागत भाषण दिया। एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रंजना मालवीय ने मुख्य वक्ता का परिचय दिया। डॉक्टर बिंदु लहरी ने भी विचार रखा। कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं तथा शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की और मुख्य वक्ता से विविध प्रश्न पूछे। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर सुनीता यादव और धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर सुचिता त्रिपाठी ने दिया।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी