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वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का आपात ब्रेकिंग दूरी परीक्षण सफल: रेलवे की तकनीकी दक्षता का उत्कृष्ट उदाहरण

कोटा मंडल में वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का आपात ब्रेकिंग दूरी परीक्षण सफल:रेलवे की तकनीकी दक्षता का उत्कृष्ट उदाहरण

काेटा, 8 नवंबर (Udaipur Kiran) । पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा मंडल में भारतीय रेल की स्वदेशी तकनीक आधारित वंदे भारत स्लीपर ट्रेन (संस्करण–2) के आपात ब्रेकिंग दूरी परीक्षण का कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। यह परीक्षण कोटा–लाखेरी–कोटा खंड पर लोडेड स्थिति में 160 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति पर किया गया।

यह परीक्षण अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ), लखनऊ की टीम द्वारा किया गया, जिसमें इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) चेन्नई, मेधा सर्वो ड्राइव्स, फेवलि इंडिया, बीईएमएल, और कोटा मंडल के परिचालन दल ने संयुक्त रूप से भाग लिया। परीक्षण कार्य में आरडीएसओ लखनऊ के निदेशक राधेश्याम तिवारी, कोटा मंडल के लोको पायलट मनोज मीणा एवं विपिन कुमार सिंह सहित मुख्य लोको निरीक्षक आर.एन. मीणा तथा यातायात निरीक्षक सुशील जैठवानी की उपस्थिति रही।

परीक्षण के दौरान कुल तीन प्रकार के तकनीकी परीक्षण किए गए। यह परीक्षण ड्राई (सूखी) एवं वेट (गीली) दोनों परिस्थितियों में किया गया। ट्रैकको गीला करने के लिए कोचों में 500-500 लीटर के वाटर टैंक और पंप लगाए गए, जिनसे पाइपलाइन के माध्यम से पहियों के आगे ट्रैक पर लगातार पानी छिड़का गया। इससे बारिश जैसी स्थिति में ट्रेन की ब्रेकिंग दूरी मापी गई। परीक्षण में पाया गया कि सामान्य स्थिति की अपेक्षा गीले ट्रैक पर ब्रेकिंग दूरी लगभग 10 प्रतिशत तक बढ़ जाती है — जैसे यदि सूखी स्थिति में ईबीडी 1000 मीटर है तो गीली स्थिति में यह लगभग 1100 मीटर तक हो जाती है।

परीक्षण में ड्राइवर द्वारा 75 सेकंड तक निष्क्रिय रहने की स्थिति में सिस्टम की प्रतिक्रिया की जाँच की गई। वीसीडी सक्रिय होने पर स्वतः आपात ब्रेक लागू होते हैं और निर्धारित दूरी पर ट्रेन रुक जाती है।

परीक्षण में ढलान पर खड़ी ट्रेन को जांचा गया कि जब होल्डिंग ब्रेक छोड़े जाते हैं, तो ट्रेन को पीछे जाने से रोकने के लिए कितनी ट्रैक्शन पावर आवश्यक होती है। इस परीक्षण ने ट्रेन की रोलबैक सुरक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता को पुष्ट किया।

वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक सौरभ जैन ने बताया कि वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के ये सभी परीक्षण भारतीय रेल की तकनीकी क्षमता और सुरक्षा मानकों की उच्च गुणवत्ता को प्रदर्शित करते हैं। उन्होंने कहा कि इन परीक्षणों से प्राप्त डाटा भविष्य में तेज गति वाली गाड़ियों के परिचालन और सुरक्षा मानकों को और सुदृढ़ करेगा।

यह परीक्षण भारतीय रेल की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो “मेक इन इंडिया” पहल के तहत स्वदेशी प्रौद्योगिकी से विकसित कोचों की विश्वस्तरीय गुणवत्ता को प्रमाणित करता है।

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(Udaipur Kiran) / राजीव