Uttar Pradesh

वर्तमान विश्व की समस्याओं का समाधान एकात्म मानव दर्शन से ही सम्भव : प्रफुल्ल केतकर

'काशी शब्दोत्सव'

तीन दिवसीय काशी शब्दोत्सव का दूसरा दिन,सौ शोध पत्रों की हुई प्रस्तुति

वाराणसी, 17 नवम्बर (Udaipur Kiran) । ‘आर्गनाइजर’ साप्ताहिक पत्रिका के सम्पादक प्रफुल्ल केतकर ने पश्चिम की भौतिकवादी दृष्टिकोण का उल्लेख कर कहा कि इस दृष्टिकोण ने प्रकृति, पर्यावरण एवं विश्व में अशान्ति को जन्म दिया है। जिसका समाधान न पूंजीवाद से है, न साम्यवाद से है बल्कि उसका समाधान भारतीयता से ओत—प्रोत पं0 दीनदयाल उपाध्याय की एकात्म दर्शन से है।

सम्पादक प्रफुल्ल केतकर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन सभागार में आयोजित तीन दिवसीय ‘काशी शब्दोत्सव’ के दूसरे दिन सोमवार को पं0 दीनदयाल उपाध्याय जी की आध्यात्मिक राष्ट्रीयता एवं एकात्म जीवन—दर्शन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतीय दृष्टि एकात्म है जो मेरा भी सही पर आधारित है जबकि पश्चिम की दृष्टि अधिनायकवादी है और मेरा ही सही है में विश्वास करती है। भारतीय विकास संरचना चक्राकार है जिसमें निरन्तर परिवर्तन संवेद है। उन्होंने कहा कि पश्चिम ने प्रकृति को अपने अधीन कर अधिक उपभोग दृष्टि से कार्य किया है। जिससे प्रकृति का विनाश हुआ है, जबकि भारत में प्रकृति एवं पर्यावरण की रक्षा को परम धर्म माना है।

इसी सत्र में एच.एन.बहुगुणा गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 श्रीप्रकाश ने कहा कि पश्चिम जहां विभाजन पैदा करता है वहीं पं0 दीनदयाल उपाध्याय का दर्शन समाज को जोड़ता है। पं0 दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म दर्शन किसी प्रकार के भेदभाव को स्वीकार नहीं करता। उनका एकात्म दर्शन प्राचीन भारत की प्रवाहमान राष्ट्रीय चेतना पर आधारित है। सत्र में प्रो0 हिमांशु चतुर्वेदी ने कहा कि पं0दीनदयाल उपाध्याय के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। इस सत्र की अध्यक्षता अप्रवासी भारतीय डॉ0मनोहर शिंदे ने की। शब्दोत्सव के दूसरे दिन चार शोध पत्र प्रस्तुति सत्रों में अध्यापकों, अधिवक्ताओं, शोध छात्रों सहित परास्नातक विद्यार्थियों ने सौ शोध पत्रों की प्रस्तुति की। इसमें उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, झारखंड, बंगाल के विश्वविद्यालयों के प्रतिभागी शामिल हुए। कार्यक्रम का संयोजन प्रो0अनूप ने किया।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी